आज भी समाज में कुछ खास जगहें हैं जहां जाने के ल‍िए मह‍िलाओं को इजाजत नहीं हैं। श्मशान इनमें से एक है। यहां पर अब भी प्रवेश निषेध है। ऐसे में चेन्नई की प्रवीणा ने इस द‍िशा में ठोस कदम उठाए और वहां पर हर द‍िन पहुंची। हाल ही में राष्ट्रपति ने उन्‍हें फर्स्‍ट वूमन अवॉर्ड से सम्‍मान‍ित भी क‍िया है।


राष्ट्रपति भवन में फर्स्ट वूमन अवॉर्ड से सम्मानभारत महाशक्ति बनने की ओर है, लेकिन समाज की दकियानूसी सोच साथ नहीं छोड़ रही। इसलिए कुछ मंदिर-मजार से लेकर श्मशान गृह तक पर महिलाओं के जाने पर पाबंदी है। मंदिरों को लेकर आंदोलन चला, जिसमें महिलाओं को जीत मिली, लेकिन श्मशान पर अब भी प्रवेश निषेध है। इस निषेध को चेन्नई की प्रवीणा न सिर्फ चुनौती दे रही हैं, बल्कि वहां खड़े होकर वे चिता जलवा रही हैं। वे ऐसा करने वाली अकेली महिला हैं। उनके इस अदम्य साहस और इच्छाशक्ति को देखते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें फर्स्ट वूमन अवॉर्ड से सम्मानित किया। लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बना ली
परिवार की नाराजगी की परवाह किए बगैर उन्होंने इस नौकरी को इसलिए भी स्वीकार किया कि श्मशान गृह पर महिलाओं का जाना आज भी प्रतिबंधित है। वे कहती हैं कि शुरू में इसका खूब विरोध भी हुआ। लोगों को यह स्वीकार्य नहीं था कि श्मशान स्थल पर कोई महिला मौजूद रहे। कुछ ने चेहरे पर एसिड तक फेंकने की धमकी दी, लेकिन प्रवीणा ने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बना ली। अब उन्हें लोग स्वीकार करने लगे हैं। दिल्ली आईं प्रवीणा ने कहा कि अब उनके परिवार के लोग उन पर गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि उन्होंने लोगों की धारणा बदली है।

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Posted By: Shweta Mishra