-एक नवंबर से 14 नवंबर तक होगा एक-एक विभागों के पत्रावलियों की जांच

-प्रस्तावों में मनमानी खर्च के मद बढ़ाए जाने मेयर सहित मेंबरों ने किया विरोध

बरेली। नगर निगम में वेडनसडे को डेवलपमेंट को लेकर मेयर डॉ। उमेश गौतम की अध्यक्षता में बैठक की गई। इस दौरान अधिकारियों ने 3 अरब का बजट का प्रस्ताव पेश किया। साथ ही पिछले साल का बचा करीब 1.3 अरब का बजट का प्रस्ताव भी दिया। लेकिन बजट के प्रस्तावों में खर्च बढ़ाए जाने पर मेयर सहित सभी पार्षद नाराज हो गए। जिससे किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी। आखिर में मीटिंग 14 नवंबर तक स्थगित कर दी गई। इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि इस अवधि में अपर नगर आयुक्त के ऑफिस में डेली हर विभाग की पत्रावलियों की जांच होगी जिसे समिति के मेंबर्स कम-ज्यादा कर सकते हैं। इसके बाद ही उस पर मुहर लगेगी। इससे शहर के डेवलपमेंट पर एक बार फिर बे्रक लग गया।

इसलिए स्थगित की मीटिंग

- बिजली बिल 2018-19 में 4.17 करोड़ रुपये था। 2019-20 में छह करोड़ रखा गया,जबकि पुराने लाइटें हटाकर एलईडी लग चुकी हैं, इससे 30 फीसद बिल कम हुआ है.फिर भी बजट बढ़ा दिया।

- जलकल मरम्मत में पिछले साल 2.30 करोड़ खर्च था। वर्ष 2019-20 के लिए 2.80 करोड़ का बजट था, जिसमें से 1.91 करोड़ ही खर्च हुए। पुनरीक्षित में 5.50 करोड़ रखे हैं।

- 14वें वित्त आयोग में 2018-19 में 29 लाख रुपये खर्च हुए.मौजूदा साल के बजट में दो करोड़ का प्रावधान था।

- निर्माण में पिछले साल 40 करोड़ का बजट था, जिसे 25 करोड़ कर दिया गया। जबकि इसपर कोई वार्ता नहीं हुई।

- नाला सफाई को 50 लाख से 1.70 करोड़ किया जा रहा है। सितंबर तक एक रुपया खर्च नहीं हुआ.पुनरीक्षित में फिर दो करोड़ रख दिए।

- प्रकाश विभाग का दो करोड़ रुपये निर्माण को भेजा।

-सीवर मरम्मत में वर्ष 2018-19 में 1.44 करोड़ खर्च था। मूल बजट में 2.50 करोड़ रखे गए, जिसमें से 1.70 ही सात माह में खर्च हुए.अब फिर 3.90 करोड़ प्रावधान किया है।

- डीजल का खर्च 2018-19 में 4.48 करोड़ था, जिसे बढ़ाकर मूल बजट में 5.50 करोड़ रखा गया.अब पुनरीक्षित बजट में 6.50 करोड़ किया जा रहा है।

- नजारत में पिछले साल 1.52 करोड़ खर्च हुए थे। इस बार प्रावधान दो करोड़ का था, जिसमें से सितंबर तक 75 लाख ही खर्च हुए.पुनरीक्षित बजट में दो करोड़ ही रख दिए हैं।

एक नवंबर से 14 नवंबर तक अपर नगर आयुक्त की ऑफिस में पत्रावलियों का परीक्षण किया जाएगा, मेंबर्स रोजाना एक-एक विभागों की पत्रावलियों का परीक्षण करेंगे, जिसके बाद प्रस्ताव को लेकर मीटिंग होगी। हिटलरशाही नहीं चलेगी। यह लोकतंत्र है, जवाबदेही तय होगी।

-डॉ। उमेश गौतम, मेयर

अनावश्यक बजट में विलंब किया जा रहा है। खासकर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का टेंडर होने के बाद भी काम शुरू नहीं हो पा रहा है। शहर में कूड़ा नाला, नाली को चोक कर रहा है। यह शहर के लिए अच्छा नहीं है। एनजीटी और सरकार के निर्देशों के विपरीत है।

सैमुअल पॉल एन, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive