केदार घाटी के जख्म अभी भरे भी नहीं हैं कि अब बदरीनाथ धाम पर नया खतरा मंडराने लगा है. यहां सतोपंथ व भागीरथी खड़क ग्लेशियर से निकलने वाली अलकनंद नदी ने शुरुआत में ही करीब सात हजार मीटर की ऊंचाई पर अवरुद्ध होकर झील का आकार ले लिया है. यह झील भाज्ञानू बैंक ग्लेशियर की तरफ से आए उस मलबे से बनी जिसने सतोपंथ व भागीरथी खड़क ग्लेशियर के जलस्त्राव को काफी हद तक थाम लिया. जिस कच्चे मलबे के कारण नदी ने उद्गम स्थल पर झील का रूप लिया है वह तेज बारिश होने की स्थिति में ढह सकती है जिससे बदरीनाथ की सुरक्षा को लेकर चिंता गहराने लगी है. बदरीनाथ मंदिर यहां से करीब आठ किमी दूर गहरी ढलान पर है.


इसरो ने किया आगाहगुरुवार दोपहर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नोडल एजेंसी उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने राज्य सरकार को इस खतरे से आगाह किया। इस पर शासन ने सतर्कता बरतते हुए सेना, आइटीबीपी और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से उक्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कराकर वस्तुस्थिति जानी। हालांकि, चमोली जिला प्रशासन फिलहाल खतरे जैसी कोई बात न होना बता रहा है, लेकिन शासन ने एहतियातन बदरीनाथ और जोशीमठ और चमोली बाजार में अलर्ट जारी कर दिया।नासा ने 25 दिन पहले दिए तबाही के संकेतयूसैक के निदेशक डा। एमएम किमोठी के मुताबिक 16-17 जून को जब केदारघाटी में प्रकृति ने कहर बरपाया, उसी समय भाज्ञानू बैंक ग्लेशियर की तरफ से भारी मात्रा में मलबा नीचे की तरफ बढ़ा, जिसने सतोपंथ व भागीरथी खड़क ग्लेशियर के जलस्त्राव से जन्मी अलकनंदा नदी के शुरुआती भाग को अवरुद्ध कर झील में तब्दील करना शुरू कर दिया।


झील हो गई ढाई हजार वर्ग मीटर चौड़ी

अब तक ये झील लगभग ढाई हजार वर्ग मीटर का आकार ले चुकी है। सेटेलाइट से झील पर लगातार नजर रखी जा रही है। फिलहाल झील स्थिर है। जहां पर ये झील बनी है, वहां से बद्रीनाथ धाम की दूरी करीब आठ किलोमीटर है। ऐसे में मंदिर और आसपास के इलाकों की सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंता बढ़ गई है। अगर झील का आकार तेजी से बढ़ा व आसपास के ग्लेशियरों से और मलबा आया तो कभी भी तबाही ला सकता है।आईटीबीपी ने की झील बढ़ने की पुष्िटइस खतरे को भांपते हुए गुरुवार अपराह्न शासन ने उक्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण कराया। चमोली के सीडीओ सी रविशंकर, आइटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट राजेश नैनवाल और कर्नल लोकेश इस दल में शामिल थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में अलकनंदा के उद्गम स्थल पर झील बनने की पुष्टि की। निरीक्षण दल में शामिल आइटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट राजेश नैनवाल के अनुसार झील से अलकनंदा नदी में पानी का रिसाव हो रहा है। सूचना मिली थी कि झील बनने से अलकनंदा का प्रवाह रुक गया है। चमोली के जिलाधिकारी बी षणमुगम ने बताया कि फिलहाल खतरे जैसी कोई बात नहीं हैं फिर भी कुछ इलाकों में को सतर्क कर दिया गया है।

Posted By: Inextlive