मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट में बच्चों पर हुए सर्वे में खुलासा हुआ है कि गेमिंग के नशे में बच्चों की मेंटल हेल्थ को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इससे बच्चों में न सिर्फ एग्रेशन बढ़ रहा है बल्कि इससे उनमें अकेलापन और कई तरह की बीमारियां भी पनप रही हैं।


मेरठ (ब्यूरो)। आपका बच्चा अगर मोबाइल या वीडियो गेम का आदी है तो सावधान हो जाइए। गेमिंग का नशा बच्चों की मेंटल हेल्थ बिगाड़ रहा है। इससे बच्चों में एग्रेशन बढ़ रहा है। यही नहीं अकेलापन और कई तरह की बीमारियां भी उन्हें घेर रहीं हैं। हाल ही में मेंटल हेल्थ विभाग के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में बच्चे तेजी से गेम एडिक्शन का शिकार हो रहे है। एक्सपर्ट के मुताबिक ये स्थिति काफी गंभीर है। अगर बच्चों को नहीं रोका गया तो परिणाम घातक हो सकते है।ये कहती है रिपोर्ट
मेंटल हेल्थ विभाग की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार करीब 70 प्रतिशत बच्चे गेमिंग एडिक्शन से जूझ रहे है। ओपीडी में आने वाले 10 में से 7 बच्चों में वीडियो गेम या मोबाइल गेम खेलने की प्रवृति विकसित हो रही है। पिछले दो साल ये आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। पहले जहां 10 में से 3-4 बच्चों में ये समस्या मिल रही थी वहीं स्थिति अब दोगुनी हो गई है। शौक बन रहा नशा


चाइल्ड काउंसलर दीपिका शर्मा बताती हैं कि गेमिंग में एक तरह का एडिक्शन होता है। स्मार्टफोन आने के बाद ये एडिक्शन और बढ़ गया है। तमाम तरह के गेम मोबाइल में अवलेबेल हैं। एक बार बच्चों को चस्का लगता तो वह दिनरात इसे खेलने में बिजी हो जाते हैं। शुरु में पेरेंट्स भी केयर नहीं करते, लेकिन बाद में स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है। सुबह उठने से लेकर सोने तक बच्चे का दिमाग गेम में ही उलझा रहता है। इसका सीधा असर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इसके रिजल्ट्स के तहत बच्चे मे मेमोरी लॉस तक हो सकता है। ये हो रहा प्रभाव - गेमिंग के हिसाब से बच्चों की साइकोलॉजी बदल रही है। - बच्चे फैमिली, फ्रेंड्स से कटने लगे हैं। वह हर वक्त गेमिंग में बिताना चाहते है। - मेंटली और फिजिकली बच्चों की ग्रोथ प्रभावित हो रही है। - बच्चों में तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ा पन, पढ़ाई में मन न लगना जैसी आदतें तेजी से विकसित हो रही है।- बच्चों में डिसीजन पॉवर खत्म होने लगी है। वह बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में फैसला करने लगे है। ऐसे करें बचाव- इनडोर की बजाय बच्चों में आउटडोर गेम्स खेलने की प्रवृति विकसित करें। - बच्चों के सामने मोबाइल का प्रयोग कम से कम करें।- बच्चों को एगे्रशन वाले गेम खेलने या वीडियो देखने से रोके - बच्चे की काउंसलिंग जरूर करवाएं । - बच्चे को सोशल होना सिखाएं ।

'स्मार्टफोन के बहुत अधिक यूज से टेक्सट नेक सिंड्रोम की शिकायत बढ़ रही है। अलग-अलग लेवल होने की वजह से बच्चे इन गेम्स में खो जाते है। इसके बाद एक लेवल से दूसरा लेवल पार करने का लालच ही एडिक्शन पैदा कर देता है। बच्चों को शुरू  से ही मोबाइल से दूर रखना चाहिए।'- डाॅ. विभा नागर, क्लीनिकल काउंसलर'गेमिंग का एडिक्शन बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए बहुत घातक है। इससे बच्चों का कंसंट्रेशन खत्म हो रहा है। मेमोरी लॉस जैसी परेशानी भी हो सकती है। गेम खेलने की वजह से आंखे भी कमजोर हो रही है।'- डाॅ. रवि राणा, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ meerut@inext.co.in

Posted By: Inextlive Desk