एमजीएम में मरीजों के पौष्टिक खाने पर ग्रहण
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: कोल्हान के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में मरीजों को पोषण के लिए दिए जाने वाले खाने में लगातार कटौती की जा रही है. सरकार की ओर से प्रति व्यक्ति डाइट रेट में वृद्धि न होने से अस्पताल प्रशासन लगातार कटौती कर रहा है. बताते चलें कि एमजीएम अस्पताल में प्रति मरीज 50 रुपये के हिसाब से पेमेंट किया जा रहा हैं. जबकि मरीजों को महज 50 रुपये में नास्ता और दो टाइम खाना दिया जा रहा है. जबकि मंहगाई की मार के चलते मरीजों को महज खानापूर्ति के लिए ही खाना दिया जा रहा है. अस्पताल में कई मरीज ऐसे भी हैं, जो खाने की क्वालिटी को देखकर लेने से मना कर देते हैं. एमजीएम अस्पताल की डायटिशियन अन्नू सिन्हा ने बताया कि सीमित संसाधनों में मरीजों को पौष्टिक भोजन देने की कोशिश की जाती है, मंहगाई के चलते कई चीजों में कटौती भी करनी पड़ रही है, लंबे समय से सरकार से इसे बढ़ाकर 100 रुपए करने की मांग की जा रही है.
हफ्ते में एक दिन नॉनवेजएमजीएम अस्पताल की रसोई में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि पहले सप्ताह में तीन दिन नॉनवेज दिया जाता था. लेकिन बढ़ती महंगाई में मरीजों को किसी तरह से नास्ता और दो टाइम का खाना दिया जाता है. मरीजों को पहले दो अंडा और 400 एमएल दूध और तीन केला दिया जाता था, जिससे घटाकर अब एक केला, एक अंडा, 100 ग्राम मिल्क और चार बे्रड कर दिया गया है. खाने की क्वालिटी खराब होने के बाद भी रोगी मजबूर हैं. कर्मचारियों ने बताया कि पहले रविवार, बुधवार और शुक्रवार को चिकेन, मछली और मटन मरीजों को दिया जाता था लेकिन अभी सोमवार को महज चिकेन दिया जाता है. वहीं आलू, सब्जी और दाल में भी कटौती की गई है.
13 कर्मचारी हैं तैनात एमजीएम अस्पताल के रसोई में कुल 13 कर्मचारी तैनात हैं, जो खाने के हिसाब के साथ ही खाना बनाने और वितरण का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि रोगियों की संख्या के आधार पर एक से दो सिलेंडर भी खर्च हो जाते हैं. मरीजों को हरी सब्जी में लौकी, मूली, पपीता बैगन को मिक्स दिया जाता है. टेंडर के हिसाब से पूरे साल सस्ती सब्जियों को ही खरीदा जाता है, वहीं आलू और दाल में भी 20 ग्राम की कटौती की गई हैं. मरीजों का खाना और उसकी कीमतसामान पहले अब रेट
केला 3 पीस 1 पीस 3 रुपये अंडा 2 पीस 1 पीस 7 रुपये ब्रेड 4 पीस 4 पीस 4 रुपये दूध 400 मिली. 100 मिली. 5 रुपयेशक्कर 50 ग्राम 20 ग्राम 1 रुपये
चावल 200 ग्राम 150 ग्राम 5 रुपये आटा 200 ग्राम 150 ग्राम 5 रुपये दाल 60 ग्राम 50 ग्राम 4 रुपये आलू 100 ग्राम 80 ग्राम 2 रुपयेसब्जी 300 ग्राम 250 ग्राम 5 रुपये
कढ़ी 100 ग्राम 100 ग्राम 5 रुपये चिकेन 100 ग्राम 100 ग्राम 15 रुपये मसाला 10 ग्राम 10 ग्राम 5 रुपये (मीनू में तेल मसाले और गैस का खर्च करने के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था की जाती है.) अस्पताल में नाम मात्र के लिए खाना दिया जाता है, कर्मचारियों से शिकायत करने में वह 50 रुपये में कैसा खाना मिलेगा की बात कहकर देकर चले जाते हैं. बहुत से मरीज लेने से इंकार भी कर देते हैं, लेकिन जिनके घर से खाना नहीं आता है. उन्हे लेना ही पड़ता है. बसंती देवी अस्पताल में दिन प्रति दिन डाइट के भोजन में कटौती की जा रही है, पहले 100 ग्राम दाल मिलती थी अभी 80 ग्राम ही दाल दी जा रही है. अधिकारियों से शिकायत करने पर पता चला कि सरकार 50 रुपये प्रति आदमी के हिसाब से ही देती है, ऐसे में रसोई वाले अपने घर से थोड़ी दें देंगे. सरकार को डाइट का पैसा बढ़ाना चाहिये. गौर सिंह हर दिन एक ही टाइप का खाना खाकर जी ऊब जाता है. सब्जी में कई बार मूली तो पकता ही नहीं है. लौकी के अलावा और दूसरी सब्जी नहीं बनती है. मरीजों को जहां पोषण युक्त भोजन की आवश्यकता होती है, ऐसे में महज नाम मात्र के लिए दिया जाने वाला खाने से मरीजों को क्या पोषण मिलेगा समझ से परे है. जुहारिया तमसई अस्पताल में दवाइयों के साथ ही यह खाना लेना ही कष्टकारक होता है, लेकिन दवाइयों के डोज के साथ ही खाना अनिवार्य होने के कारण खाना लेना पड़ता है. केला से लेकर दूध तक सभी चीजें महज नाम मात्र के लिए ही दी जाती है. ऐसी व्यवस्था से अच्छा है खाना बंद कर दिया जाए. कला बाई लंबे समय से मरीजों को 50 रुपये की डाइड में खाना दिया जा रहा है. हर साल होने वाले टेंडर में रकम बढ़ने के बाद भी मरीजों को नास्ता और दो टाइम का भोजन देना बेहद मुश्किल होता है, जिनमें से मसाले गैस और कर्मचारियों को अलग से पेमेंट किया जाता है. रिम्स की तरह 100 प्रति डाइट की मांग की जा रही है. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई आदेश नहीं है. अरुण कुमार, सुपरिटेंडेंट. एमजीएम