महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में रोजगार की गारंटी इतनी पक्की है कि मरने के बाद भी मजदूरी कराई जाती है. गांव के प्रधान की ईमानदारी देखिए कि वह ‘मुर्दों’ को बाकायदा भुगतान भी करते हैं. ये किसी के आरोप नहीं बल्कि मनरेगा की वेबसाइट में दर्ज आंकड़े हैं. मामला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले का है.


करप्शन किस्सों में सबसे अजीबयूं तो मनरेगा में भ्रष्टाचार के कई किस्से सामने आते रहते हैं, लेकिन ग्राम पंचायत नौरमई का ये मामला इसे इंतहा तक ले जाता है. यह खेल सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के जरिए बेपर्दा हुआ है. आरटीआइ कार्यकर्ता जयकिशन शाक्य ने गत 25 मार्च को जिला पंचायत राज अधिकारी से नौरमई में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की सूचना मांगी थी.बता दी मनरेगा की वेबसाइटउन्होंने ग्राम विकास अधिकारी को निर्देशित कर दस दिन के अंदर सूचना देने को कहा. शाक्य के मुताबिक, पहले तो अधिकारी ने सूचना न मांगने के लिए दबाव बनाया. नहीं मानने पर सूचना देने के बजाय मनरेगा की वेबसाइट बता दी. वेबसाइट ने योजना की पूरी कलई खोल कर रख दी.बाहर वालों के नाम भी
मनरेगा मजदूर के रूप में उन लोगों के नाम भी दर्ज हैं, जिनकी मृत्यु काफी समय पहले ही हो चुकी है. उनके नाम से पैसा भी निकाला गया है. इसके अलावा गांव के कई युवक जो दिल्ली, नोएडा में नौकरी करते हैं, उन्हें भी मनरेगा का मजदूर दर्शाते हुए भुगतान ले लिया गया है. जबकि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.Report by: Rakesh Ragi (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh