मिड डे मील में अब मिलेगी बढि़या दाल
एक नहीं, अब परोसी जाएंगी कई दाल
दाल सप्लाई की जिम्मेदारी विभाग उठाएगा Meerut। सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब हर बार एक ही दाल नहीं खानी पड़ेगी, क्योंकि मिड-डे मील में अब कई दालों का प्रयोग किया जाएगा। यहां तक कि दालों की घटिया क्वालिटी का प्रयोग रोकने के लिए शासन खुद अपने स्तर से दाल प्रोवाइड करवाएगा। दालों के विकल्प मिड डे मील प्राधिकरण ने हाल ही में हुई बैठक में दूसरे राज्यों से सबक लेते हुए मिड डे मील में कई दालों को शामिल करने का मन बना लिया है। इसके तहत अरहर, मूंग, मसूर काली व लाल व चना दाल का विकल्प विभाग को दे दिया गया है। अभी दो दालों का विकल्प तय किया जाना बाकी है। सस्ती दाल बंदमिड-डे मील में आ रही शिकायतों को देखते हुए प्राधिकरण ने साफतौर पर विभाग को सस्ती दाल का प्रयोग न करने की चेतावनी दी है। यही नहीं दाल सप्लाई करने की जिम्मेदारी भी खुद विभाग ने ले ली हैं। दालों की मात्रा के लिए भी विभाग ने सख्त निर्देश दिए हैं। अब प्राइमरी के लिए 20 ग्राम व अपर प्राइमरी के लिए 30 ग्राम दाल पराेसी जाएगी।
फल अौर दूध भीस्कूलों में फल और दूध का डिस्ट्रीब्यूशन भी चालू रहेगा। इसके लिए विभाग ने ग्रांट भी जारी कर दी है। वहीं विभाग का कहना है कि जिन स्कूलों में फल या दूध वितरित नहीं होगा, उन पर सख्त कार्रवाई होगी।
इनका का भी पालन मिड-डे मील की सभी सूचना बोर्ड पर अंकित करनी होगी। मिड-डे मील में इस्तेमाल होने वाले दाल चावल, सब्जियां, मसाले आदि खाद्य पदार्थो को एक स्थान पर रखना होगा। मिड-डे मील बनाने से पहले सफाई का खासा ख्याल रखा जाएगा। मिड-डे मील कर्मचारी को खाना बनाने से पहले और बाद में बर्तनों को भी अच्छी तरह से साफ कर सुखाना होगा। खाना परोसने से पहले बच्चों की थालियों को भी जांचना होगा। फल देने से पहले कर्मचारियों को उसे दो-तीन बार अच्छी तरह से धोने के निर्देश जारी किए गए हैं। घटिया दाल की कई शिकायतें विभाग को मिली हैं। बच्चों को प्रोटीन की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में दाल की मात्रा और क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आगामी सत्र से नई योजना लागू कर दी जाएगी। वीरेंद्र कुमार, डिविजनल कोर्डिनेटर, मिड-डे मील