मिडिल एज में ब्रेन स्ट्रोक
- पिछले एक साल में लगभग बीस हुए मौत के शिकार
- सिटी में इन दिनों है चौकाने वाले आंकड़े Meerut: अब ब्रेन स्ट्रोक केवल बुजुर्गो को हीं नही होता है, आधुनिक जीवनशैली की जटिलताओं की वजह से मिडिल एज ग्रुप में भी यह समस्या देखने में मिलती है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए रिसर्च के मुताबिक भारत में हर साल डेढ़ लाख लोग बे्रन स्ट्रोक के शिकार होते हैं। जागरुकता न होना और पूरी जानकारी न होने की वजह से यह बीमारी मौत तक भी पहुंचा देती है। सिटी में सरकारी अस्पतालों व प्राइवेट डॉक्टर्स के आंकड़ों के अनुसार तो इन दिनों मिडिल एज में यह बीमारी ज्यादा पनप रही है। क्या है मर्जसही ढंग से कार्य करने के लिए दिमाग को हमेशा ऑक्सीजन की जरुरत होती है। रक्त प्रवाह के जरिए ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचता है। नलियों में ब्लड क्लॉटिंग या उनके फटने की वजह से ही ब्रेन की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। वे तेजी से नष्ट होने लगती है। जिसे ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। लोगों को सरल भाषा में समझाने के लिए नेशनल स्ट्रोक एसोसिएशन ने इसके लिए ब्रेन अटैक शब्द की सलाह दी है, जो बेहद ही भयंकर बीमारी है।
नसें फटी तो हो सकती है मौत
न्यूरोलॉजिस्ट आशीष शर्मा के अनुसार बे्रन स्ट्रोक दो प्रकार से होता है। इस्केमिक स्ट्रोक और हेमरैजिक स्ट्रोक। जिसमें से इस्केमिक स्ट्रोक में व्यक्ति के मस्तिष्क की नसों में खून जमने लगता है। खून के क्लॉट से बनने लगते हैं। 80 प्रतिशत केस में ऐसी ही समस्याएं आती हैं। दूसरी स्ट्रोक में मस्तिष्क की नसें फट जाती हैं। मस्तिष्क कुछ हिस्सों में अनियंत्रित रक्त प्रवाह शुरू होने लगता है। एक साल में ख्0 अधिक मौतें ब्रेन स्ट्रोक के आंकड़ों की बात करें तो सिटी में पिछले छह महीनों के दौरान ख्0 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज सामने आए हैं। इनमें 70 प्रतिशत फ्0 से ब्0 की ही उम्र के मरीज हैं। क्भ् मौत सरकारी अस्पतालों में और प्राइवेट में लगभग पांच से छह मौत हो चुकी है। कैसे हो बीमारी की पहचानकुछ लक्षणों की समानता की वजह से अकसर लोग इसे हार्ट अटैक समझने लगते हैं, पर यह उससे भी गंभीर है। जागरुकता के लिए विशेषज्ञों ने इसके लिए एक सरल फार्मूला बनाया है। इसे फास्ट नाम दिया गया है। फास्ट जिसमें एफ - फेस का टेड़ापन, ए- आर्म्स में कमजोरी, कोशिश करने पर भी हाथ न उठ पाना, आवाज लड़खड़ाने लगती है, टी- टाइम से पहले ही थक जाना।
ये भी हैं लक्षण - आंखों के आगे अंधेरा छा जाना। - हर चीज डबल दिखाई देना। - शारीरिक संतुलन बिगड़ना और कमजोरी महसूस करना। - शरीर का कोई दाहिना हिस्सा सुन्न पड़ जाना। ब्क् प्रतिशत से ज्यादा मौत इंडियन कांउसिल एंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार बे्रन स्ट्रोक के ब्क् प्रतिशत मामलों में जान को खतरा होता है। भ्9 प्रतिशत मामलों में व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। लोग चलने फिरने में असमर्थ हो जाते हैं और बोलने में दिक्कत होती है। बोलचाल की भाषा में इसे लकवा कहा जाता है। मूलचंद शरबती देवी अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ। सरिता आहूजा के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारी में ब्0 प्रतिशत से अधिक मौत के चांस होते हैं, लेकिन अगर शुरू से ही ध्यान रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। कब होता है ज्यादा खतरनाक - हाई ब्लड पे्रशर होने पर भी उसका परहेज न करने पर। - डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारी को कंट्रोल में न रख पाने की वजह से। - फेमिली हिस्ट्री से ही बीमारी का होना।- रक्त में कोलेस्ट्रॉल और अमीनो एसिड की मात्रा लिमिट से ज्यादा बढ़ने पर।
- अधिक मात्रा में एल्कोहॉल व सिगरेट पीने से भी बे्रन स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। - सिर में अंदरुनी चोट आने पर या फिर जीवनशैली में बढ़ते तनाव के साथ भी। कैसे करें बचाव - अक्सर लोग सोचकर भयभीत हो जाते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक हमला अचानक होता है। इसलिए बचाव असंभव है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बचाव में स्वास्थ संतुलित खानपान लेना चाहिए। - नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए। - साल में रुटीन चेकअप जरुरी है। - अस्पताल से घर आने के बाद देखभाल और मेडिकल कंसल्टेंसी के अलावा फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी एंड काउंसिलिंग मददगार साबित होती है। यह बेशक बहुत ही भयंकर मानी जाती हो लेकिन अगर छोटी-मोटी सिरदर्द को भी हम हल्के में न लें और डॉक्टर की सलाह लें, तो निश्चित ही इस तरह की बीमारी से बचा जा सकता है। -डॉ। आरबी सिंह, होम्योपैथिक ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर बीमारी संबंधित कोई भी लक्षण मरीज में दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। -डॉ। प्रदीप भारती, प्रिंसीपल मेडिकल