आप जो दूध पी रहे हैं वो कितना सेहतमंद है? जी हां खटाल चलाने वाले व्यवसायी पैसे कमाने की होड़ में प्रतिबंधित ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन का पशुओं पर बार-बार इस्तेमाल कर धड़ल्ले से दूध निकाल रहे हैं. फिर इसे आपके घर पहुंचा रहे हैं जो आपके बच्चों के अलावा आप भी पीते होंगे. इसके कितने घातक परिणाम हैं यह आप सोच भी नहीं सकते।

Ranchi: रिम्स के डॉ बी कुमार का कहना है कि ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन से प्रभावित मवेशियों के दूध पीने से बच्चों का मानसिक विकास शिथिल हो जाता है। गर्भवती महिलाओं के गर्भपात का खतरा है। बच्चे विकलांग पैदा होंगे। वहीं, आम जनों की हड्डिया कमजोर होने के अलावा नपुंसकता समेत अन्य कई बीमारियों का भी खतरा है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आपका दूध कितना सेहतमंद है।

 

प्रतिबंधित है इजेक्शन

लगभग एक दशक पूर्व आमजनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर दूध देने वाले जानवरों पर ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन के इस्तेमाल को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही दुकानों में उक्त दवा बिक्री व खरीदारी करने पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।

 

क्या करते हैं खटाल वाले

राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन का गाय व भैंस पर धड़ल्ले से इस्तेमाल कर खटाल वाले दुग्ध उत्पादन कर रहे हैं। मवेशी पालक अपनी भैंस व गायों से अधिक मात्रा में दुग्ध उत्पादन के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इंजेक्शन में अपने मन मुताबिक डोज भरकर मवेशियों पर इस्तेमाल करते हैं। इसके प्रयोग के पांच मिनट के अंदर ही मवेशी का सारा दूध उसके स्तन पर आ जाता है। इससे मवेशी पालकों को दूध निकालने में समय नहीं लगता। साथ ही साधारण तरीके से निकलनेवाले दूध से डेढ़ से दो किलो ज्यादा दूध भी मवेशी देती हैं। वहीं, ग्राहक के पूछे जाने पर मवेशी पालक उसे साधारण विटामिन की दवा बताते हैं।

 

 

दुकानों में धड़ल्ले से बिक रहा प्रतिबंधित इंजेक्शन

जानकारों का मानें, तो ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन को दिल्ली व कोलकाता में गुप्त तरीके से बनाया जा रहा है। इसमें रासायनों का प्रयोग भी मन मुताबिक़ किया जाता है। दुकान तक पहुंचते-पहुंचते उक्त प्रतिबंधित इंजेक्शन 40 रुपए का हो जाता है। एक मवेशी पालक एक दर्जन का पैकेट खरीदता है, जो तीन से चार दिनों तक चलता है।

 

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

रांची के विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है। बिरसा चौक सहित राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन धड़ल्ले से बिक रहा है। विभाग की ओर से इस मामले में जांच के दौरान बीते साल कुल पांच केस दर्ज किये गये थे, उसके बाद कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। क्षेत्र में संचालित दवा दुकानों में कभी भी फ़ूड एंड ड्रग्स विभाग द्वारा जांच नहीं की गई है। इसका लाभ दुकानदार बखूबी उठा रहे हैं। मवेशी दवाओं के साथ-साथ नशीली व पागलपन की दवा भी दुकानदार अच्छी कीमतों में ग्राहकों को उपलब्ध करवा रहे हैं। बगैर लेबल का प्रतिबंधित ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन, जिन्हें राजधानी के साथ आसपास के रूरल एरिया में भी बेचा जा रहा है।

 

यहां बिक रही प्रतिबंधित दवाएं

राजधानी की अधिकतर दवा दुकानों में ऑक्सीटॉक्सिन के साथ-साथ अन्य प्रतिबंधित दवाओं की भी बिक्री हो रही है। साथ ही बिरसा चौक, हरमू बाजार, कांके क्षेत्र, रातू आदि क्षेत्रों में मौजूद दवा दुकानों में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। दवा विक्रेता अपने ग्राहकों से अच्छे से परिचित हैं। वहीं अनजान लोगों द्वारा प्रतिबंधित दवा मांगे जाने पर इसकी बिक्री नहीं होने की बात कही जाती है। ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन बगैर किसी कंपनी के लेबल, बैच नंबर व उपयोग की अंतिम तिथि के साथ बिक्री की जाती है। सिर्फ सफेद रंग के 100 एमएल प्लास्टिक के सील किए हुए डिब्बे में ग्राहकों को दी जाती है। इसके एवज में 40 रुपए दुकानदार ग्राहकों से वसूलते हैं।

 

क्या है बचने के उपाय

-ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन के दुष्प्रभाव से बचने का सबसे सरल तरीका ऐसे मवेशी पालकों से दूध लेना बंद करना ही है।

-यदि मजबूरी में दूध लेना भी पड़े तो इसे 100 डिग्री सेंटीग्रेड टेम्परेचर पर पांच मिनट अच्छी तरह उबाल लें। इससे दवा का प्रभाव कुछ हद तक दूर हो सकता है।

वर्जन

ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन से प्रभावित मवेशियों के दूध पीने से बच्चों के मानसिक विकास शिथिल हो जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं द्वारा उक्त दूध के सेवन करने से बच्चे विकलांग होते हैं तथा गर्भपात भी हो सकता है। वहीं आमजनों के हड्डी कमजोर हो जाते हैं। मस्तिष्क के काम करने की क्षमता भी घट जाती है.युवाओं में नपुंसकता आ जाती है। इसका सबसे बुरा प्रभाव बच्चियों में पड़ता है।

-डॉ बी कुमार, मेडिसीन, रिम्स

 

बाजार में ऑक्सीटॉक्सीन जो बिकता है उसमें किसी भी कंपनी का लेबल नहीं लगा होता है जिस वजह से छोटे दुकानदारों पर ही कार्रवाई हो पाती है। जो इसका निर्माण करते हैं वे भी लाईसेंस होल्डर नहीं है। जमशेदपुर में ऐसे मामले ज्यादा पकड़ में आये हैं लेकिन रांची में अब तक पांच मामले दर्ज किये गये हैं। अगर ऐसी सूचना मिलती है तो हम कार्रवाई करते हैं।

-ऋतु सहाय, निदेशक औषधि, राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय

Posted By: Inextlive