Meerut: केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय जीओसी-डीएम प्रकरण पर संज्ञान ले लिया है. दोनों ही मंत्रालय इस पूरे प्रकरण से काफी खफा हैं. यहां तक की रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्ड के सब एरिया हेडक्वार्टर से भी जवाब तलब कर रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब मंत्रायल ही इस पूरे प्रकरण को सुलझाएंगे.


गुजरा नागवार सूत्रों के अनुसार दोनों मंत्रालयों प्रमुख को जिले के दो बड़े अधिकारियों के बीच बहस काफी नागवार गुजरी है। 10 तारीख को हुए इस पूरे प्रकरण को काफी गंभीरता से लिया है। सूत्रों की मानें तो दोनों ही मंत्रालय की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिले के दो इतने जिम्मेदार अधिकारी बीच सड़क पर इस तरह से किस तरह से अनुशासनहीन बर्ताव कर सकते हैं? हो रहा है पत्राचार इस पूरे प्रकरण पर दोनों ही मंत्रालय आपस में तो पत्राचार कर ही रहे हैं। साथ कैंट बोर्ड, प्रशासनिक अधिकारियों से भी पत्राचार हो रहा है। पूरे प्रकरण की रिपोर्ट भेजने की भी बात की जा रही है। सूत्रों की मानें तो दोनों अधिकारियों को दिल्ली में भी पेश होने को कहा जा सकता है। जहां हायर अथॉरिटीज पूछताछ कर सकते हैं। दिल्ली सुलझा मामला


सूत्रों की मानें तो दोनों ही अधिकारियों को कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया गया है। जो भी  रिपोर्ट यहां से बनकर जाएंगी। उन्हीं के हिसाब से पूरे मामले को देखा जाएगा। साथ मामले में सुलझाया जाएगा। सूत्रों का ये भी कहना है कि इस पूरे प्रकरण पर गेट और दीवार के मामले को पूरी तरह से अलग रखा गया है। जब इस पर अधिकारियों से बात की गई तो किसी ने भी कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी सेना की याचिका मेरठ: बात बेलगांव कैंट, कर्नाटक की है। जब 1998 में कर्नाटक हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने (एआईआर 1998 कैंट 300) आर्मी द्वारा लगाए गए गेटों से अवरुद्ध किए गए आम रास्तों को पूरी तरह अवैध घोषित कर दिया था, जिसके बाद सेना सुप्रीम कोर्ट में अपनी एसएलपी (एसएलपी 8218 सन् 1998) दाखिल की थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस आधार पर मेरठ में भी गेट और दीवार नहीं खड़ी की जा सकती है। ये तमाम बातें आरटीआई एक्टीविस्ट और सच संस्था के प्रेसीडेंट संदीप पहल ने प्रेसवार्ता के माध्यम से पत्रकारों से कहीं। आइए जानते हैं कि उन्होंने गेटों के बारे में कौन-कौन से कानूनी तर्क रखे- सगीर अहमद एवं अन्य बनाम यूपी सरकार एवं अन्य (एआईआर 1954 एससी 728) में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी भी आम रास्ते के रूप में उपयोग किए गए व्यक्तिगत रास्ते को भी मालिक भी वापस नहीं ले सकता है। - कैंटोनमेंट एक्ट में ए-1 लैंड आर्मी की है। आम रास्ते सेना के कब्जे में न तो हैं और न रहेंगे।

- आम रास्तों को रोकना व्यक्तिगत व्यवधान डालना न्यूसेंस में आता है। - जितने भी दीवारों और गेटों का निर्माण हुआ है उसमें घटिया सामग्री और इस्तेमाल हुआ है, जिसकी जांच कराई जाएगी।

Posted By: Inextlive