- कॉलेज वाले माइनॉरिटी के नाम पर यूनिवर्सिटी को बना रहे बेवकूफ

- कॉलेज में माइनॉरिटी के नाम पर दूसरे छात्रों से भरी जा रहीं सीटें

- माइनॉरिटी के नाम पर एडमिशन के बाद परीक्षा कराने को भटक रहे

Meerut: एक ओर बीएड की काउंसलिंग शुरू होने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ बीएड क्लासेज में एडमिशन लेने वाले सैकड़ों स्टूडेंट्स परीक्षा के लिए भटक रहे हैं। बीएड के नाम पर धांधली का खेल कॉलेजों में जोरों पर चल रहा है, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने एडमिशन तो ले लिया, लेकिन अब यूनिवर्सिटी ने इनके एग्जाम कराने से साफ इनकार कर दिया है।

यह है सीन

जिले में करीब एक दर्जन माइनॉरिटी के नाम पर बीएड कॉलेज चल रहे हैं, जिन्होंने काउंसलिंग में शामिल नहीं होने वाले बीएड स्टूडेंट्स के डायरेक्ट एडमिशन कर लिए। माइनॉरिटी के अनुसार जिन स्टूडेंट्स का एडमिशन होना चाहिए उनकी जगह दूसरे स्टूडेंट्स का एडमिशन कर लिया गया, जबकि माइनॉरिटी की सीट पर केवल माइनॉरिटी में आने वाले स्टूडेंट्स का ही एडमिशन होना चाहिए।

एग्जाम से इनकार

बीएड सेशन ख्0क्फ्-क्ब् के मुख्य एग्जाम के लिए यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म उपलब्ध करा दिए हैं। ये परीक्षा फॉर्म केवल काउंसलिंग वाले स्टूडेंट्स ही भर सकते हैं। इनके साथ वे स्टूडेंट्स अपनी बैक परीक्षा के फॉर्म भर सकते हैं, जिन्होंने वर्ष ख्0क्क्-क्ख् व ख्0क्ख्-क्फ् में मुख्य परीक्षाएं दी थीं। यूनिवर्सिटी ने माइनॉरिटी से एडमिशन लेने वाले गैर माइनॉरिटी स्टूडेंट्स को एग्जाम फॉर्म भरवाने से इनकार कर दिया। साथ ही इनकी परीक्षा कराने से भी साफ मना कर दिया।

मैनेजमेंट का खेल

मैनेजमेंट कॉलेजों ने माइनॉरिटी के नाम पर दूसरे स्टूडेंट्स के एडमिशन कर लिए और साथ ही बिना काउंसलिंग वाले स्टूडेंट्स के डायरेक्ट एडमिशन कर लिए। इसके लिए स्टूडेंट्स से अच्छी खासी फीस भी वसूली गई। फीस वसूलने के साथ ही इन स्टूडेंट्स के नाम से स्कॉलरशिप भी लेने के लिए समाज कल्याण में फॉर्म सबमिट कर दिए गए। इन स्टूडेंट्स के जब एग्जाम नजदीक आए तो यूनिवर्सिटी ने एग्जाम कराने से ही मना कर दिया। अब ये स्टूडेंट्स मझधार में फंस गए हैं। एक तरफ कॉलेजों को अच्छा खासा पैसा दे दिया।

रोज आ रहे फोन

मैनेजमेंट के थ्रू एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स रोज यूनिवर्सिटी में फोन करके अपने एग्जाम के बारे में कंफर्म करते हैं। यूनिवर्सिटी वाले इनको एग्जाम कराने से साफ मना कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जब मैनेजमेंट कॉलेज वालों से ये स्टूडेंट्स अपने एग्जाम बारे में पूछताछ करते हैं तो वे भी आश्वासन देकर टाल देते हैं। ऐसे दर्जनों स्टूडेंट्स रोज यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं या फिर फोन पर इंक्वायरी कर रहे हैं, जिनको जवाब में निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लग रहा।

यूनिवर्सिटी कराती है खेल

मैनेजमेंट कॉलेजों में जब एडमिशन किए जाते हैं इसकी जानकारी यूनिवर्सिटी को भी उपलब्ध कराई जाती है। इससे साफ है कि मैनेजमेंट कॉलेज और यूनिवर्सिटी एक दूसरे की मिली भगत के चलते स्टूडेंट्स के एडमिशन तो करवा लेते हैं, लेकिन बाद में समस्या स्टूडेंट को ही झेलनी पड़ती है। यूनिवर्सिटी से संबद्ध सैकड़ों कॉलेजों में यही खेल होता है, जिससे यूनिवर्सिटी एकदम अनभिज्ञ नहीं है। एडमिनिस्ट्रेशन यह सब जानता है कि कॉलेजों में क्या खेल हो रहा है।

जिन कॉलेजों में प्रॉपर चैनल से एडमिशन हुआ है, उनके एग्जाम पर विचार किया जाएगा, क्योंकि मैनेजमेंट के थ्रू फिफ्टी-फिफ्टी का रेशियो होना चाहिए। अगर गलत तरीके से एडमिशन कराए हैं तो उनके एग्जाम नहीं होंगे। बाकी परीक्षा नियंत्रक इस मामले को देख रहे हैं।

- प्रो। पीके शर्मा, पीआरओ सीसीएस यूनिवर्सिटी

मैनेजमेंट कॉलेज में डायरेक्ट एडमिशन और माइनॉरिटी के थ्रू लिए गए एडमिशन के एग्जाम के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। पहले काउंसलिंग वाले स्टूडेंट्स की परीक्षाएं होनी हैं। इसके बाद कुछ कहा जाएगा।

- एचएस सिंह, परीक्षा नियंत्रक

Posted By: Inextlive