सावन को मत्‍युंजय महादेव की भक्ति का महीना कहा गया है। सावन देवों के देव महादेव के लिए रिजर्व होता है। सावन के महीने में इंसान तो इंसान जानवर भी भोलेनाथ की भक्‍ती में डूब जाते हैं। आज हम आप को एक ऐसे ही अनोखे शिव भक्‍त के बारे में बताने जा रहे हैं।


बैल करते हैं पूजनआज हम आप को भगवान शिव की नगरी यानी काशी के बारे में बताएंगे। काशी को भगवान शिव का गढ़ कहा गया है। काशी की तंग गलियों में आप को हर जगह बैल घूमते हुए नजर आएंगे। बैल को भगवान शंकर की सवारी कहा जाता है। शिवलिंग के पास नंदी की मूर्ति रखी होती है। काशी में इंसान तो इंसान बैल भी भगवान की पूजा अर्चाना करते हैं। काशी में बैल को शाही पशु माना जाता है। ऐसा माना जाता है यहाँ कोई भी बड़े से बड़ा अतिथि आ जाए उसे बैल की सवारी जरूर कराई जाती है। काशी की पहचान है नंदी
वाराणसी म्युनिसिपल कारपोरेशन ने बताया कि यहाँ 60 से भी ज्यादा बैलों का अच्छे से ख्याल रखा जाता है। यहाँ बैलों के लिए कहा जाता है कि सांड तो काशी की पहचान है। उसको पकड़ना और बांध कर रखना काशी की पहचान मिटाने की साजशि है। वाराणसी में चाहे दूकान हो या मंदिर ये बैल आपको हर जगह घूमते नजर आएंगे। यहाँ आपको किसी न किसी मंदिर में बैल शिवजी के समक्ष बैठे नजर आएंगे।

Posted By: Prabha Punj Mishra