Meerut : पाकिस्तान की तर्ज पर ही हुई थी इंडिया में गेंदबाजों की तलाश. लेकिन ये तलाश अधूरी रह गई. अधूरी रह गई वो स्कीम जिसमें क्रिकेट के दीवानों को दिखाया गया था सपना. दूर-दराज इलाकों से आए खिलाडिय़ों के सामने खड़े थे पूर्व भारतीय खिलाड़ी संदीप पाटिल तो सपनों ने उड़ान भी भरी लेकिन आज ना तो वो सपना बाकि है और ना ही वो स्कीम अगर कुछ बाकि है तो खिलाडिय़ों के मन की टीस. आखिर कहां गया बीसीसीआई द्वारा दिखाया गया दकियानुसी सपना.


ट्रायल की कहानी पिछले वर्ष बीसीसीआई के पूर्व सचिव संजय जगदाले की स्कीम के तहत देश भर में गेंदबाज ढूंढने के लिए सभी पांच जोन में ट्रायल्स हुए थे। इनमें सेंट्रल जोन का ट्रायल मार्च के अंत और अप्रैल की शुरूआत में मेरठ में हुआ। इस ट्रायल में दिल्ली, बागपत, कानपुर, मध्यप्रदेश, लखनऊ जैसे दूर दराज शहर और प्रदेशों से खिलाड़ी ट्रायल देने पहुंचे। ये ट्रायल इसीलिए खास बन गया था, क्योंकि ट्रायल वर्तमान प्रमुख चयनकर्ता और पूर्व एनसीए अध्यक्ष संदीप पाटिल खिलाडिय़ों को परख रहे थे।यहां से चुने गए पांच


मेरठ में हुए ट्रायल में सेंट्रल जोन से पांच खिलाडिय़ों को चुना गया। इसी तरह बाकि जोन से भी खिलाडिय़ों को चुना गया। जिनका बाद में मोहाली में 15 दिन का नेशनल कैंप हुआ। जिसमें खास खिलाडिय़ों को चुनकर बैंगलोर में एनसीए में ट्रेनिंग दी जानी थी। लेकिन मोहाली में 15 दिन के कैंप के बाद ना तो किसी खिलाड़ी को कैंप में पास होने की सूचना दी गई और ना ही बैंगलोर में कोई मुख्य ट्रेनिंग खिलाडिय़ों को दी गई।

'मेरे बेटे का चयन मोहाली से हुआ था। जिसमें उसे सारे जोन से चुने गए खिलाडिय़ों के साथ कैंप करने का मौका मिला। कैंप हुआ लेकिन उसके बाद से कोई संपर्क खिलाडिय़ों से नहीं किया गया.'

- राजवीर सिंह, गुनीत के पिता'ये स्कीम बीसीसीआई की थी, लेकिन कुछ अंदरूनी कारणों से इस पर अभी विराम दिया गया है.'- डॉ। युद्धवीर सिंह, बीसीसीआई मेंबर

Posted By: Inextlive