मौजूदा वित्तीय वर्ष में हैंडपंप लगवाने को तवज्जो नहीं दे रहे माननीय

नए और रिबोरिंग में बरत रहे लापरवाही, लक्ष्य से पीछे हैं विधायक

धीमी गति से कार्य कर रहे हैं ठेकेदार, हो सकती है प्रशासनिक कार्रवाई

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न्रुरुन्॥न्क्चन्ष्ठ: माननीयों को पब्लिक की चिंता नही है। यही कारण है कि वे अपने कोटे से हैंडपंप पब्लिक को देने में आनाकानी कर रहे हैं। यह बात मौजूदा वित्तीय वर्ष के सरकारी आंकड़ों से सिद्ध हो रही है। अभी तक विधायकों द्वारा 60 फीसदी हैंडपंपों की सूची जारी की गई है। इनमें नए और रिबोरिंग, दोनो प्रोजेक्ट शामिल हैं। फिलहाल, पब्लिक विधायकों के बंगलों के चक्कर काट रही है और बदले में केवल कोरा आश्वासन मिल रहा है। और तो और जो हैंडपंप पास हुए हैं उनका काम भी ठेकेदारों ने लंबे समय से लटका रखा है। इसे लेकर प्रशासन की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।

आसानी से नही होते हस्ताक्षर

शासन द्वारा जिले के एक दर्जन विधायकों को वर्ष 2016-17 वित्तीय वर्ष में कुल 2488 हैंडपंप स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 1244 रिबोरिंग और 1244 नए हैंडपंप शामिल हैं। आश्चर्य की बात है कि अभी तक कुल 1500 हैंडपंप के मामले माननीयों ने स्वीकृत किए हैं। इसमें भी केवल छह सौ का काम ही पूरा हो सका है। बाकी अनुमोदित मामले अभी तक लटके हैं। लाभार्थियों का कहना है कि कई बार चक्कर लगाने के बाद फाइल पर हस्ताक्षर हुए थे और अब काम पूरा करने में लंबा समय लगाया जा रहा है। पता नहीं कितने महीनों बाद हैंडपंप का पानी नसीब होगा।

ठेकेदारों की मनमानी

कुल स्वीकृत मामलों में से नौ सौ अभी तक पेंडिंग हैं। बताया जा रहा है कि माननीयों ने अपने खास ठेकेदारों को काम दिलवाया है और वे मनमानी पर उतारू हैं। प्रत्येक ब्लॉक में दो ठेकेदार लगाए गए हैं। लेकिन, इनके पास बोरिंग के लिए उपयोग में आने वाली मशीनों का टोटा है। हाल ही में प्रशासन ने तमिलनाडु से एक्स्ट्रा मशीने मंगाने का फैसला किया है, जिससे अनुमोदित कार्यो को जल्द से जल्द पूरा कराया जा सके।

मुनाफे के चक्कर में लेटलतीफी

शासन द्वारा निर्धारित दर के आधार पर हैंडपंप की रिबोरिंग में अलग-अलग चार्ज ठेकेदार वसूलते हैं। नम जमीन पर 42 हजार और कठोर जमीन पर 54 हजार रुपए प्रति रिबोरिंग वसूली जाती है। शंकरगढ़ जैसे पठारी क्षेत्रों में 87 हजार रुपए तक दिए जाते हैं। कुल प्रोजेक्ट की लागत भी 12.5 करोड़ रुपए का है। सोर्सेज बताते हैं कि इस बार बारिश बेहतर हुई है और पानी का लेवल काफी ऊपर आ चुका है। इसलिए बोरिंग और रिबोरिंग में कम खर्च आएगा और यही कारण है कि लेटलतीफी जारी है। इसका खामियाजा लाभार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

फैक्ट फाइल

मौजूदा वित्तीय वर्ष में कुल हैंडपंप का लक्ष्य- 2488

नए हैंडपंप- 1244

रिबोरिंग हैंडपंप- 1244

अब तक कुल अनुमोदित- 1500

पूरे हो चुके काम- 600

पेंडिंग अनुमोदित हैंडपंप- 900

अभी तक लक्ष्य के अनुरूप काफी कम हैंडपंप स्वीकृत किए गए हैं। जो स्वीकृत हुए हैं उनमें भी ठेकेदार लेटलतीफी कर रहे हैं। मामले को लेकर ठेकेदारों से बातचीत जारी है। मनमानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आंद्रा वामसी, सीडीओ, इलाहाबाद

Posted By: Inextlive