आगरा। जिन माननीयों को जनता इस बात को ध्यान में रखकर चुनती है कि वे उनके हक की आवाज को उठाएंगे। जनसेवा के लिए उन्हें वेतन-भत्ते का भी प्रावधान है। वे माननीय केवल अपने दरबार तक ही सीमित रहते हैं। माननीय के वेतन भत्ते के सन्दर्भ में अन्य प्रदेशों की बात करें, दिल्ली को छोड़कर अन्य प्रदेशों के माननीय कम वेतन भत्ते ही पाते हैं। इसमें केरल का नाम सबसे ऊपर है, जिसमें माननीय केवल एक हजार रुपये ही पाते हैं।

जहां माननीयों के वेतन भत्ते कम वहां प्रदेश की स्थिति सुदृढ़

दिल्ली के विधायकों को छोड़ दिया जाए तो अन्य प्रदेशों में माननीयों को इतनी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। कर्नाटक में माननीय केवल 20 हजार रुपये ही पाते हैं। जबकि उत्तराखंड में साढ़े ग्यारह हजार रुपये पंजाब की स्थिति बेहद मजबूत राज्यों में मानी जाती है। वहां माननीयों को केवल 25 हजार रुपये ही वेतन मिलता है। वहां माननीयों को मिलने वाली सुविधाएं यूपी के माननीयों के मुकाबले कम है।

हंगामे की भेंट चढ़ जाता है सत्र भत्ता

प्रदेश में जब भी विधानसभा का सत्र शुरु होता है, तो सदन में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य को एक हजार रुपये प्रतिदिन सत्र भत्ते के रूप में मिलता है। आपको बता दें कि पहले प्रदेश में 750 रुपये प्रतिदिन भत्ता मिलता था। बड़ा सवाल ये है कि सत्र में प्रदेश की समस्याओं को लेकर जिन विषयों पर सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष में चर्चा होनी चाहिए। वो समय हंगामें में समाप्त हो जाता है। मौजूदा समय चर्चा हंगामे की भेंट चढ़ जाती है।

Posted By: Inextlive