- महिला यूजर को रहता है बे्रस्ट कैंसर का खतरा

- यूजर को लग सकती हैं कई दिमागी बीमारियां

- ज्यादा वक्त कान से लगाना भी है बेहद घातक

- टॉवर और मोबाइल दोनों से होता है रेडियेशन

Meerut : यह सच है कि लोगों के लिए मोबाइल आज सबसे बड़ी जरुरत है। इंडिया में मोबाइल यूजर की संख्या भी काफी बढ़ गई है। लंबे समय तक मोबाइल का यूज और टॉवर के आसपास रहने से क्या-क्या नुकसान होता है। इसका हिसाब लगाना अभी तक लोगों ने शुरू नहीं किया है, लेकिन जल्द ऐसा नहीं किया गया तो पछतावा करने के सिवाय कुछ नहीं होगा।

क्यों है नुकसानदायक फोन

दरअसल यह समझने की जरुरत है कि टावर से सिग्नल, सिग्नल से फोन और फोन से आवाज आने तक की पूरी प्रक्रिया रेडियेशन पर बेस्ड है। यह किरणें चारों तरफ है। जहां नहीं होना चाहिए वहां भी और जितनी मात्रा में नहीं होनी चाहिए उससे कहीं ज्यादा भी है। ये मोबाइल के जरिए हमारे शरीर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती हैं। प्रगति विज्ञान संस्था के जिला समन्वयक दीपक शर्मा के अनुसार रेडियेशन की ये तरंगें बड़ी ही तेजी से मोबाइल से निकलती हैं, जो हमारे शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है।

नहीं मानते नियम

डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन ने टावर लगाने के कुछ पैमाने बनाए हैं, जिन्हें अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है। इंडिया में एक ही छत पर आपको दस टॉवर भी मिल जाएंगे। साथ ही ऐसे टावर मिल जाएंगे जो चारों और ऊंची मीनारों के बीच में घिरे हुए हैं। सिटी में भी कुछ स्कूलों में व इमारतों पर टावर हैं, जबकि कायदा टावर को इलाके की सबसे ऊंची मीनार पर लगाने का है। ऐसे में शरीर धीरे-धीरे रेडियेशन से होने वाली बीमारियों से घिर रहे हैं।

लंबे अरसे से मोबाइल फोन रेडियेशन व टावर्स पर रिसर्च कर रही विदेशी स्कॉलर, राइटर व साइंटिस्ट डेवरा ली डेविस का ये दावा है। इंडिया में मोबाइल टावर्स व रेडियेशंस की स्थिति भयावह है। यहां कंपनियां स्कूलों व गांवों में भी टावर लगा रहीं हैं। यहां तक की रिहायशी इलाकों से भी ऐसा हो रहा है। दिलचस्प बात है कि लोग ऐसा होने भी दे रहे हैं।

मेरठ में आठ लाख यूजर्स

रेडियेशन स्टैंडर्ड की बात करें तो रुस इटली व पोलेंड जैसे देशों ने आज भी इन्हें भारत से कम रखा हुआ है, ताकि इसका असर लोगों के शरीर पर नहीं पड़ सके, पर हमारे बीच आ बसी इस रेडियेशन के बारे में हम नहीं जानते हैं। चूंकि पिछले कुछ सालों में मोबाइल फोन ने हर घर में अपनी जगह बना ली है। ऐसे में इंडिया का मोबाइल यूजर गु्रप अब 90ब् मिलियन का है, जबकि अमेरिका का सिर्फ फ्00 मिलियन मोबाइल है। वहीं मेरठ में लगभग आठ लाख मोबाइल यूजर्स है। मोबाइल विक्रेता राजवीर सिंह के अनुसार अधिकतर एंड्रायड मोबाइल यूजर्स ही है।

जूही चावला चला रहीं हैं कैंपेन

अब इंडिया में दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल यूजर गु्रप तैयार है, लेकिन इस टेलिफोन क्रांति के साथ ही जो सावधानियां बरती जानी थीं, उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इंडिया में तंबाकू असुरक्षित यौन सबंधों, एक्सरे व प्लास्टिक के खिलौनें से होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम से लिए कैंपेन तो हैं, पर मोबाइल यूजर्स के लिए कोई सर्तकता अभियान नहीं है। देश में हेल्थ सेवाएं भी मजबूत नहीं है। ऐसे में खुद सतर्क होना बेहद जरुरी है। इसी तर्क के साथ एक्ट्रेस जूही चावला ने भी मोबाइल फोन से जुड़ा एक्टिविज्म शुरू किया है। जूही चावला कहती हैं, मुझे मेरे पति ने सबसे पहले वॉर्न किया था कि घर के समाने एक ही बिल्डिंग पर लगे ये दस टावर ठीक नहीं हैं। बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। मेरा मकान टावर के ठीक सामने था। इसकी पड़ताल की तो पता लगा कि टावर की ऊंचाई कम है। इसके लिए फिर मैनें खुद जाकर शिकायत की। सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। ताकि अगली पीढ़ी को रेडियेशंस से जुड़ी प्रॉब्लम से बचाया जा सके।

गायब हो रही हैं चिडि़यां

दिल्ली में सीबीएसई सांइस टीचर्स की टीम ने अभी सोमवार को ही एक पक्षियों के गायब होने पर रिसर्च की थी। रिसर्चर कहते हैं कि सुबह-सुबह चहचहाने वाली चिडि़या गोरैया शहरों से धीरे-धीरे इन्हीं रेडियेशन के कारण खत्म हो रही हैं। हाल में आई आईएमए की कुछ रिसर्च साबित करती है कि मोबाइल रेडियेशन युवाओं में नपुंसकता, डीएनए खराब, ब्रेस्ट कैंसर और दिमाग में कम होते ब्रेन सेल्स का कारण बन रहा है।

बेहद घातक है मोबाइल

यह रेडियेशन पांच साल तक की उम्र के बच्चों लिए बेहद घातक होता है। ऐसे में शौक से छोटे बच्चों को रिश्तेदारों से फोन पर बात करना सिखाना उनके लिए खतरनाक व नुकसानदायक हो सकता है।

-डॉ। तनुराज सिरोही, फिजिशियन

मोबाइल से निकलने वाले रेडियेशन से हार्ड, बे्रस्ट कैंसर और डीएनए खराब होने व दिमाग कमजोर होने जैसी बीमारियां पनप सकती है। इसलिए मोबाइल का यूज करते समय काफी सावधानियां बरतनी चाहिए।

-डॉ। एसके जैन, कॉर्डियोलॉजिस्ट

ये जानना बेहद जरुरी है।

- यह जान लें कि फोन एक खिलौना नहीं बल्कि एक यंत्र है, जिसे बच्चों से जितना दूर रखेंगे उनके लिए उतना ही अच्छा है।

- लोग कॉल शुरू होते वक्त ही सबसे ज्यादा गर्मजोशी से उसे कान पर दबाकर लगाते हैं। पर ऐसा नहीं करना चाहिए। दरअसल कॉल शुरू होने के पहले चार सेकेंड में सबसे ज्यादा रेडियेशन छोड़ता है। इसलिए कॉल को लाउडस्पीकर कर उठाए।

- हैंड्स फ्री वायर का इस्तेमाल ज्यादा करे।

- कार में ब्लू टूथ पर ही बात करें क्योंकि फोन ट्रैवल करते वक्त हाई रेडियेशन छोड़ता है।

- फोन को अपनी जेब की जगह किसी बैग में रखें

- मैसेजिंग करना सेफ है

- नेट जब आवश्यकता हो ऑन करें ज्यादा नेट यूज करने से भी रेडियेशन की दिक्कत बढ़ती है।

- फोन को चार्ज करते वक्त तकिये के नीचे न रखें।

Posted By: Inextlive