आने वाले टाइम में मोबाइल ऑपरेटर कंपनीज अपने कॉल रेट बढ़ा सकती हैं. ये जानकारी टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ट्राई ने देते हुए कहा इसकी वजह टेलिकॉम कंपनीज का स्पेक्ट्रम रेट 12 से 15 परसेंट तक बढ़ना है.


पिछले हफ्ते हुए स्पेक्ट्रम ऑक्शन के चलते सरकार ने अनुमान जाहिर किया था कि कॉल रेट्स में 1.3 पैसे प्रति मिनट की बढ़ोतरी हो सकती है. लेकिन ट्राई की राय सरकार से नही मिलती. उनके विचार से टेलिकॉम कंपनियों की स्पेक्ट्रम कॉस्ट 12-15 पर्सेंट तक बढ़ सकती है और वे इसकी वापसी समय के साथ यूजर्स से ही करेंगी.
ट्राई के र्सोसेज से पता चला है कि टेलिकॉम कंपनियां बढ़ी हुई कॉस्ट का बोझ कन्जयूमर्स पर आहिस्ता आहिस्ता डालेंगी. जो 6 से 7 पैसे प्रति मिनट तक पहुंच सकता है. स्पेक्ट्रम ऑक्शन 25 मार्च को फाइनल हुआ था और उसके बाद ट्राइ ने अपना डाउट जाहिर करते हुए अब कहा है कि लगता है कि कॉल रेट्स बढ़ सकते हैं. ये धारणा सरकार के दावे से बिलकुल फरक है. सरकार का माननना है कि स्पेक्ट्रम ऑक्शन से कॉल रेट्स में अधिकतम 1.3 पैसे प्रति मिनट की बढ़ोतरी ही हो सकती है. रेग्युलेटर ने भी कहा है कि टैरिफ बढ़ने से कस्टमर्स पर खास असर पड़ने की संभावना नहीं होगा, क्योंकि यह बढ़ोतरी धीमी गति से लंबे टाइम में ग्रेज्युरली होगी.


ट्राई ने इस डिसीजन के लिए सरकार को जिम्मेदार माना है क्योंकी इसी वजह से कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए अग्रेसिव बिडिंग करनी पड़ी. जिससे कंपनियों को सरवाइव करने के लिए निलामी में ऊंची बोली लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. जबकि सरकार की ओर से ऑक्शन में स्पेक्ट्रम की संख्या भी नहीं बढ़ाई गयी है. स्पेक्ट्रम की कमी के कारण ही वॉयस और डेटा सर्विस क्वॉलिटी में खराबी आ रही है. ट्राई से जुड़े र्सोसेज से पता चला है कि उसने पहले ही चेतावनीदी थी कि 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम पाने के लिए कंपनियों के बीच संघर्ष होगा. वही हुआ और ऐसे स्पेक्ट्रम की कमी के चलते कई टेलिकॉम कंपनियों जिनके के लाइसेंस 2015 और 2016 में एक्सपायर होने थे जैसे भारती एयरटेल, आइडिया सेल्युलर, वोडाफोन इंडिया और रिलायंस कम्यूनिकेशंस को कुछ सर्किल में 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में अपने एयरवेव्स बायबैक करने पड़े. वरना उनके लिए इन सर्किल्स में सर्विस जारी रखना मुमकिन नहीं हो पाता.

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Posted By: Molly Seth