- 1998 से शुरू हुआ भाजपा और मंदिर के बीच तनातनी का दौर

- कभी संघ का हस्तक्षेप तो कभी आडवाणी ने किया इंटरफेयर

GORAKHPUR : चुनावी महासमर और नेताओं का अहम आड़े न आए, ऐसा संभव नहीं। हर चुनावों में राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव अक्सर सुर्खियां बनते हैं। गोरखुपर सीट पर भारतीय जनता पार्टी और गोरखनाथ मंदिर अक्सर आमने-सामने दिखाई देते रहे हैं। कभी सीटों के बंटवारे को लेकर तो कभी टिकट डिस्ट्रीब्यूशन के नाम पर बीजेपी और मंदिर के बीच विवाद होता रहा है, लेकिन इस बार नरेंद्र मोदी के हाथ में सीधी कमान होने से क्म् साल से चला आ रहा विवाद एक झटके में किनारे हो गया है।

मोदी का आया नाम तो शांत हो गए सारे विवाद

भाजपा और मंदिर के बीच सालों से चले आ रहे विवाद नरेंद्र मोदी के के्रंद में आते ही शांत हो गए हैं। मंदिर के एक करीबी की मानें तो हर बार भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के माध्यम से योगी आदित्यनाथ अपनी बात राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंचाते थे, लेकिन इस बार चाल-ढाल बदल गई है। इन चुनावों में योगी से नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधि और भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी अमित शाह और आरएसएस की ओर से रामलाल ने आमने-सामने बैठ बात की है। यही वजह है कि इस बार भाजपा और मंदिर के बीच कोई विवाद नहीं हुआ है।

क्998 से शुरू हुआ था सिलसिला

चुनावी मैदान में गोलबंदी को लेकर अक्सर योगी आदित्यनाथ और भाजपा आमने-सामने नजर आए। क्998 में योगी आदित्यनाथ के पहली बार लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने को लेकर मंदिर और भाजपा और मंदिर के बीच टकराव की स्थिति बनी थी। उस वक्त भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व और महंत अवैद्यनाथ चाहते थे कि गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ चुनाव लडें, जबकि सूत्रों के मुताबिक भाजपा का प्रदेश नेतृत्व इसका खुलकर विरोध कर रहा था। कल्याण सिंह ने योगी की उम्मीदवारी का विरोध किया था, हालांकि वे सामने कभी नहीं आए।

लोकसभा चुनावों में जमकर होती रही है तकरार

क्998 में शुरू हुई ये तकरार क्999 के चुनाव में फिर सामने आई। भाजपा के अंदर योगी का विरोध इस बात को लेकर था कि योगी 98 का चुनाव बहुत कम डिफरेंस से जीते हैं, उन्हें टिकट नहीं मिलना चाहिए। जबकि मंदिर योगी के समर्थन में लामबंद था। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से लालकृष्ण आडवाणी ने मामले में हस्तक्षेप किया और योगी को टिकट दिया गया। सूत्रों की मानें तो विवाद इस कदर था कि मंदिर ने हिंदू महासभा के नेतृत्व में अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी तक कर ली थी। किसी तरह विवाद निपटाया गया और योगी चुनाव भी जीत गए। हालांकि ख्00ब् में राजनीति फिर गर्मा गई। ख्00ख् के विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी शिवप्रताप शुक्ल का खुलकर विरोध किया था। इन चुनावों में हिंदू महासभा के डॉ। आरएमडी अग्रवाल चुनाव जीत गए। इस दौरान भी विरोध के स्वर खूब उठे, लेकिन संघ और बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के इंटरफेरेंस के बाद मामला किसी तरह शांत हुआ। ख्009 में भी खूब हंगामा मचा। योगी के मनमुताबिक हुए टिकट बंटवारे में से भाजपा के टिकट पर भ् सीटों में से ख् सीेटों पर जीत हासिल हुई। इसमें आजमगढ़ सीट पर पहली बार भाजपा ने जीत का परचम लहराया था।

सीटों के बंटवारे में फंसे विधानसभा चुनाव

मंदिर और भाजपा के बीच विधानसभा चुनावों में विवाद कई बार खुलकर सामने आए। ख्007 के विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर योगी आदित्यनाथ और भाजपा में तकरार ऐसी बढ़ी कि योगी ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा तक दे दिया था। दरअसल योगी आदित्यनाथ ने फ्ख् सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की मांग बीजेपी नेतृत्व से की थी, जिसे भाजपा ने नकार दिया। एक हफ्ते तक चले विवाद के बाद बीजेपी ने योगी को गोरखपुर-बस्ती मंडल की 9 सीटों पर कैंडिडेट उतारने का मौका दिया जिसमें से 7 पर योगी के प्रत्याशी जीते।

संघ और आडवाणी बने शांतिदूत

भाजपा और मंदिर के बीच जब भी विवाद की स्थिति आई, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मामले को सुलझाने की कोशिश की। नाम न छापने की शर्त पर संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि गोरखपुर में मंदिर, भाजपा और संघ का एक-एक आदमी सारी गतिविधियों पर नजर रखता है। यही तीन लोग भाजपा और मंदिर की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होते हैं। भाजपा और मंदिर के बीच तकरार को शांत करने का काम आरएसएस ही करता आया है। कई बार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी विवाद को शांत करने की कोशिश की है।

हिन्दुत्व और विकास के मुद्दे पर मैं चुनाव लड़ता हूं। हमारी राजनीति का आधार भी यही है। गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में जो भी बाधक बनेगा, हम उस के विरोध में उतरेंगे।

योगी आदित्यनाथ, सदर सांसद व गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी

कार्यकर्ता और नेता हमारी पार्टी की रीढ़ हैं। इनके ही सुझाव पर पार्टी चलती है। योगी आदित्यनाथ पार्टी के प्रमुख नेता हैं। हम उनके सुझाव को मानते हैं, अब कहीं भी टकराव नहीं है।

लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

Posted By: Inextlive