केंद्रीय कैबिनेट ने जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट में नए बदलावों को एक्‍सेप्‍ट कर लिया है. इन बदलावों में 16 से 18 साल के युवाओं को जघन्‍य अपराधों में शामिल होने पर उन पर सामान्‍य कोर्ट में मुकदमा चलाने का प्रावधान शामिल है.


कैबिनेट से मिली मंजूरीमोदी सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में जरुरी बदलावों पर अपनी मुहर लगा दी है. इसके बाद कानून में संशोधन की प्रोसेस संसद में जाएगी जहां नए कानून और उनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा होने की उम्मीद है. क्या हैं नए संशोधनसंशाधित जस्टिस जुवेनाइल एक्ट में 16 से 18 उम्र के किशोरों पर जघन्य अपराधों जैसे हत्या और रेप में शामिल होने की स्थिति में सामान्य कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने का प्रावधान है. हालांकि नाबालिग अपराधियों पर सामान्य कोर्ट या जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के अंतर्गत मुकदमा चलाने का अधिकार जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को दिया गया है. नाबालिग की उम्र घटाने की मांग
दामिनी गैंगरेप कांड में एक आरोपी नाबालिग होने की वजह से सामान्य न्याय प्रक्रिया से बच गया था. इसके बाद से नाबालिग होने की उम्र को कम करने की मांग चल रही थी. इस मामले में मोदी सरकार ने बीच का रास्ता अपनाते हुए नाबालिग की उम्र को कम तो नही की लेकिन नाबालिगों पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया है. इस बारे में सोशल वर्कर रंजना कुमारी का कहना है कि नए कानून से नाबालिग अपराधियों के मामले में जुवेनाइल कोर्ट ही फैसला लेगा. गौरतलब है कि नाबालिग अपराधियों को पुलिस के हवाले नही छोड़ा जा सकता है क्योंकि वह मारपीट कर गुनाह कुबूल करवा लेती है.

Hindi News from India News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra