काँग्रेस नेता राहुल गाँधी को उनके गढ़ अमेठी में ही जाकर चुनौती देने वाले आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा है कि नरेंद्र मोदी कुछ सवालों का जवाब दे दें तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है.


बीबीसी हिंदी से बातचीत में कुमार विश्वास ने कहा, "नरेंद्र मोदी इतिहास के ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहाँ यदि वे ईमानदारी से कुछ सवालों के जबाव दे पाते हैं तो वे इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कर जाएंगे. नहीं तो इस देश ने बहुत से पीएम इन वेटिंग देखे हैं."पिछले दिनों ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कुमार विश्वास की टिप्पणियों से मीडिया के एक हिस्से में क़यास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद हैं.माना जा रहा है कि जहाँ एक ओर अरविंद केजरीवाल हर मौक़े पर नरेंद्र मोदी को निशाना बना रहे हैं वहीं मोदी पर कुमार विश्वास अपेक्षाकृत नरम पड़ रहे हैं.


अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि, "जब से नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधना शुरू किया है तब से कुछ रिश्तों की पहचान हो रही है. लेकिन अंततः जीत सच की होगी." मीडिया के एक हिस्से ने इसे अमेठी से चुनाव लड़ रहे कुमार विश्वास पर टिप्पणी माना.

इससे पहले कुमार ने ट्वीट किया था, "चढ़ती नदी में नाले गिरेंगें तो आस्थावान स्नान से भी डरेगा,आचमन तो भूल ही जाओ." कुमार ने एक और ट्वीट किया, "जिनके एक इशारे पर हम गुलशन से लोहा ले बैठे, ज़रा गंध माँगी तो बोले हवा अभी अनुकूल नहीं !"इसके बाद मीडिया और यहाँ तक कि पार्टी के शुभचिंतकों में भी ‘आप’ के नेतृत्व के बीच रस्साकशी को लेकर सवाल पूछने का सिलसिला शुरू हो गया है.ट्विटर पर की गई इन टिप्पणियों को कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के बीच तनाव के रूप में देखा जा रहा है. पूरे मामले पर कुमार विश्वास कहते हैं, "मैं मीडिया से बाहर हूँ और बहसों में हिस्सा नहीं ले रहा हूँ. ऐसे वक़्त में मेरी एक शायरी भरी ट्वीट के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. मैं इससे ज़्यादा क्या कहूँ?”मोदी पर नरमबीबीसी हिंदी से बात करते हुए अलबत्ता कुमार विश्वास ने नरेंद्र मोदी के बारे में अपनी राय इन शब्दों में ज़ाहिर की, "सिर्फ़ लफ़्फ़ाजी और बड़े मंचों से बोलने से काम नहीं चलेगा. मोदी को सीधे सवालों के जबाव देने होंगे. यदि मोदी अंबानी-अडानी से अपने रिश्तों, वंशवाद की राजनीति, अपने पार्टी को अज्ञात स्त्रोतों से मिलने वाले चंदे, पासवान को पार्टी में शामिल करने के बारे में उठ रहे सवालों के जबाव दे पाते हैं तो इतिहास को एक बड़ा नेता मिल सकता है. नहीं तो वो सिर्फ़ एक नाम बनकर रह जाएंगे?"

कुमार विश्वास पिछले तीन महीनों से आम आदमी पार्टी में कम सक्रिय हैं. वे अमेठी में राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए गाँव-गाँव, घर-घर जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं.आसान सीटआम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली आसान जगह है. यहाँ पार्टी ने अपना जनाधार भी बनाया है. दिल्ली से न लड़ने के सवाल पर कुमार कहते हैं, "अगर मैं भी सुरक्षित सीट देखूँ तो मैं नेता किस बात का हूँ. यहीं से पार्टी का नेतृत्व निखरेगा. हो सकता है कि मैं इन दिनों उतना सक्रिय या सुर्खियों में नहीं हूँ जितना योगेंद्र यादव या आशुतोष हैं लेकिन मैं ये मानता हूँ कि इतिहास मेरी लड़ाई को संजीदगी से याद रखेगा.""मैं चाहता तो दिल्ली से चुनाव लड़ता और आसानी से सांसद बन जाता. मैं सोशल मीडिया पर देश का तीसरा सबसे चर्चित राजनीतिक व्यक्ति हूँ. चांदनी चौक या नोएडा मेरे लिए आसान सीट होती. लेकिन अमेठी की लड़ाई बड़े प्रतीक के लिए हैं. 'वतन की रेत मुझे एड़ियां रगड़ने दे, मुझे यक़ीन हैं पानी यहीं से निकलेगा. मैं तीन महीने से एड़ियां रगड़ रहा हूँ. अब पानी निकलने में सात मई की देर है."
राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के वारिस राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कुमार विश्वास धनबल को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.वे कहते हैं, "ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष है. मैं गाँव-गाँव घूम रहा हूँ. जहाँ रात हो जाती है वहीं सो जाता हूँ. पिछले दस साल में यदि किसी ने भी यह महसूस किया हो कि इस देश की हालत के पीछे राहुल गाँधी का व्यवहार ज़िम्मेदार है तो वे मेरा साथ देने के लिए अमेठी आएं. मेरा समर्थन करें."क्या कुमार विश्वास पार्टी में अकेले पड़ गए हैं?इस सवाल के जवाब में कुमार विश्वास कहते हैं, "पार्टी में मेरे रिश्ते सभी से अच्छे हैं. पार्टी को लगता है कि कुमार विश्वास एक महारथी आदमी है, अकेले लड़ सकता हैं. यहाँ चुनाव भी सात मई को है, मैं पहले आ गया हूँ. उन्हें जब सुविधा होगी वे आएंगे. लेकिन सब मुझसे पूछ रहे हैं कि कब आना है. मुझे उम्मीद है मैं राहुल गाँधी को हरा दूँगा?"क्या कुमार विश्वास नाराज़ हैं?
इस सवाल पर कुमार कहते हैं, "मैं किसी से नाराज़ नहीं हूँ. जैसा अरविंद ने लिखा है, वैसे ही मैंने भी लिखा है कि संकट के काल में लोग आपको समझ में आते हैं. मैं समझता हूँ कि यह संकट का नहीं संघर्ष का काल है. मैंने पिछले 40-42 सालों में जिन लोगों से दोस्ती की है, संबंध बनाए हैं, मैं उन्हें आजमा रहा हूँ, उन्हें पुकार रहा हूँ, उन्हें खंगाल रहा हूँ. काफ़ी लोग मेरे समर्थन में आए हैं. लोकसभा क्षेत्र में भी मुझे बहुत अच्छा समर्थन प्राप्त हो रहा है."

Posted By: Subhesh Sharma