बरेली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि डॉ। भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान लिखा, हमें उसी पर चलना है। देश में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है। कोई दूसरा शक्ति केंद्र हो, ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो हम विरोध करेंगे। संविधान में देश के भविष्य की तस्वीर एकदम साफ है।

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में 'भविष्य का भारत' विषयक संगोष्ठी में चीफ गेस्ट भागवत ने कहा कि समय बदलने पर कुछ ऊपरी फेरबदल करने पड़ेंगे। जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है, वे ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान में भविष्य के भारत की परिकल्पना 70 साल में पूरी क्यों नहीं हो सकी? जर्मनी, जापान और इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि वे तीनों देश भी हमारे साथ चले, मगर हमसे काफी आगे निकल गए। इस पर विचार करना होगा।

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सत्य पर आधारित विरोध का स्वागत, यह हमारे सुधार के लिए होता है।

संघ को जानना है तो करीब आइए, सभी के लिए दरवाजे खुले हैं।

भारत में शक्ति का केंद्र सिर्फ संविधान है, दूसरा शक्ति केंद्र हो ऐसी हमारी कोई इच्छा नहीं।

- हम किसी धर्म या जाति में बदलाव चाहते हैं। हमारे पूर्वज एक हैं। विविधताओं के बावजूद सब यहीं रहते हैं, यही ¨हदुत्व है।

जहां ¨हदू नहीं रहे या ¨हदू भावना खत्म हो गई, देश का वह हिस्सा आज अलग है। जब-जब ¨हदुत्व कमजोर हुआ, तब-तब भारत की भौगोलिक स्थिति बदली है।

लोग भूलवश संघ को देखने के बजाय स्वयंसेवकों के कार्य देखने लगते हैं। स्वयंसेवक तो राजनीति से लेकर संस्कार तक, हर कार्य में आगे हैं।

संघ का कोई दूसरा एजेंडा नहीं है। संघ का एक ही मतलब है-मनुष्य निर्माण।

Posted By: Inextlive