अर्बन एरिया में पैठ बना रहे नक्सली
शुरू से ही विस्तार करने में लगे हैं
रूरल एरिया में नक्सली यूथ को शुरू से ही अपने साथ जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए यूथ को बाकायदा सैलरी का भी ऑफर दिया जा रहा है। इसके साथ ही स्कूली बच्चों को भी वे अपना हथियार बना रहे हैं। इन सबके बाद अब वे अर्बन एरिया की ओर भी रूख करने लगे हैं।
अर्बन एरिया तक अपनी पहुंच बनाने में ह्यïूमन राइट्स एनजीओ नक्सलियों व माओवादियों की सपोर्ट कर रहे हैं। यह बात कई मर्तबा सामने भी आ चुकी है। इनमें नक्सलियों द्वारा बनाए गए कई फ्रंट्स भी शामिल हैं। वैसे तो ये फ्रंट्स यह दिखावा करते हैं कि वे पिलक की हेल्प कर रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर वे यूथ को अपने साथ जोडऩे का प्रयास करते हैं, ताकि नक्सलवाद को मजबूती प्रदान की जा सके।
नक्सल affected हैं districts
झारखंड के लगभग सभी डिस्ट्रिक्ट नक्सल अफेक्टेड हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैैं जो पूरी तरह से नक्सलियों की चपेट में हैं और अक्सर वहां उनके द्वारा छोटी-बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहता है। अगर कोल्हान की बात करें तो इसके तीनों डिस्ट्रिक्ट ईस्ट सिंहभूम, वेस्ट सिंहभूम और सरायकेला-खरसांवा नक्सलियों की चपेट में हैं।
दे रहे घटनाओं को अंजाम
झारखंड पुलिस के आईजी (ऑपरेशन) कम स्पोक्सपर्सन एसएन प्रधान कहते हैं कि स्टेट में कई ऐसे फ्रंट हैं, जो खुद को पिलक का हितैषी बताते हैं, लेकिन असल में वे नक्सलियों के सपोर्टर हैं। इन फ्रंट के पीछे से नक्सली अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं। कई मौकों पर इस तरह की बात सामने आ चुकी है।
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल कर बताया है कि कुछ एक्टिविस्ट्स व सहानुभूति रखने वाले लोग नक्सलियों के अर्बन एरिया के विस्तार में सहयोगी बन रहे हैं। इनमें कुछ ह्यïूमन राइट्स एनजीओ भी हैं। इस एफिडेविट में माओइस्ट्स के मूवमेंट्स व उनकी स्ट्रेटजी से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है। यह एफिडेविट मध्य प्रदेश के एमएलए किशोर द्वारा माओइस्ट प्रॉलम व उनके बढ़ते दायरा को लेकर दायर की गई पीआईएल के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दाखिल की गई है।
नक्सलियों के फायदे के लिए
सेंट्रल गवर्नमेंट के मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि नक्सली संगठन ह्यïूमन राइट्स एनजीओ की देखरेख में संचालित हो रहे हैं। ये एनजीओ सीधे-सीधे सीपीआई (माओइस्ट्स) से लिंक्ड हैं। एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि ये ह्यïूमन राइट्स एनजीओ समय-समय पर नक्सलियों को फायदा पहुंचाने के लिए कई इश्यूज भी उठाते रहते हैं।
स्टेट में कई ऐसे ऑर्गनाइजेशन्स हैं, जो नक्सलियों की हेल्प कर रहे हैं। नक्सलियों ने कई ऐसे फ्रंट्स भी बना रखे हैं, जिनके पीछे से वे काम करते हैं। ऐसे कुछ ऑर्गनाइजेशंस को आइडेंटिफाई भी किया जा चुका है, लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जा सकता।
-एसएन प्रधान स्पोक्सपर्स, झारखंड पुलिसReport by :jamshedpur@inext.co.in