-शहर में फिर बढ़ रहा है बंदरों का आतंक, डेली तमाम लोगों को कर रहे घायल

-घरों में घुसकर सामान पर भी कर रहे हाथ साफ, नगर निगम नहीं कर पा रहा कंट्रोल

केस-1

हरतीरथ निवासी शशांक साहू 15 दिन पहले कमरे का दरवाजा बंद कर सो रहे थे। आधी रात को बंदरों ने रोशनदान जिसमें जाली नहीं के रास्ते उनके कमरे में दाखिल हो गये। जब तक शशांक कुछ कर पाते बंदरों ने जमकर उत्पात मचाया। यही नहीं घर का सामान बिखेरने के साथ एक गोल्ड रिंग लेकर भाग गये।

केस-2

लंका निवासी संजय पांडेय के घर के पास बंदरों ने लोगों का जिना मुहाल कर दिया है। हर वक्त बंदर उनके और पास-पड़ोसियों के घरों में घुस जाते हैं। इनसे बचने के लिए लोग घरों में ग्रिल लगवा रहे हैं। लेकिन घर के बाहर बच्चे अक्सर इनका शिकार बन जाते हैं।

साहब इन बंदरों को से हमें बचाइये। इन्होंने तो जीना मुहाल कर दिया है। ये कम्प्लेन पिछले दिनों कबीर नगर निवासी नीरज कुमार और उनके पड़ोसियों ने नगर निगम में किया है। नगर निगम में ऐसी शिकायतें रोजाना आ रही है। बनारस में आवारा पशुओं के साथ बंदरों का आतंक बड़ी प्रॉब्लम बन गयी है। इधर कुछ दिनों से बंदरों ने पूरे शहर में आंतक फैला दिया है। अब लोग नगर निगम अफसरों से मदद की गुहार लगा रहे है। दुकान, मकान, मंदिर, पार्क के साथ करीब-करीब हर जगह बंदरों ने डेरा डाल रखा है। मौके का फायदे उठाते हुए ये बंदर घरों में घुस जाते हैं। जिसके बाद सामान आदि नष्ट कर दे रहे हैं। वहीं ऑफिसों का कागजात आदि बर्बाद कर देते हैं। मौका मिलते ही बंदर अपने नुकीले दांत से लोगों पर झपट्टा मार देते हैं। ये सब सिर्फ दिन में नहीं रात में भी हो रहा है। हालांकि शहर को बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने जिम्मा उठाया लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।

इस मौसम में बढ़ गया आतंक

वैसे तो अमूमन बंदरों का आतंक गर्मी में ज्यादा बढ़ता है, लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड में भी इनका उपद्रव जारी है। ठंड की वजह से बंदरों को खाने-पीने की समस्या हो रही है। कंक्रीट के जंगल में तब्दील शहर में हरियाली नाम मात्र की है। इसलिए बंदरों ने इंसानी बस्तियों को अपना ठिकाना बना लिया है। शहर की पॉश कॉलोनियों से लेकर पुराने मोहल्ले तक में इनके झुण्ड रहते हैं।

अपने ही घर में नजरबंद

बन्दरों के आतंक से लोगों को अपने ही घर में नजरबंद रहना पड़ रहा है। सबसे बुद्धिमान जानवर के डर से बच्चे बाहर खेलने की बजाय घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। बंदर इतने स्मार्ट हो चुके हैं कि दरवाजों के लॉक को भी खोल लेते हैं और घर में घुसकर धमाचौकड़ी करते हैं। किचन में घुसकर खाने का सामान तक उठा ले जाते हैं।

रोज पहुंच रहे मंकी बाइट के मामले

बंदरों के आतंक की वजह से अस्पतालों में मंकी बाइट के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले एक मंथ से मंडलीय व डीडीयू हॉस्पिटल में डेली 30 से 35 मंकी बाइट के शिकार लोग पहुंच रहे हैं। वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल में यह संख्या 40 से ऊपर है।

नहीं मिली कामयाबी

बंदरों की सही संख्या का पता किसी को नहीं हैं। लेकिन लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा बंदर शहर के अलग-अलग इलाकों में डेरा जमाए हैं। बंदरों को शहर से दूर करने के लिए नगर निगम ने दो साल पहले मथुरा के एजेंसी को जिम्मेदारी दी थी। एजेंसी बंदरों को पकड़कर मिर्जापुर के जंगलों में छोड़ देती थी। कुछ दिनों तक तो एजेंसी ने काम किया लेकिन रुपयों के लेन-देन में उसने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। जिसकी वजह से इधर बीच बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

इन क्षेत्रों में है इनका आतंक

सिटी के हर तीरथ, मैदागिन, चेतगंज, नदेसर, दुर्गाकुंड, लंका, साकेत नगर, सुंदरपुर, सोनारपुरा, दशाश्वमेध, सिगरा, महमूरगंज, कैंट समेत शहर के विभिन्न इलाकों में इनका आतंक ज्यादा है।

यह सही है कि शहर में बंदरों की प्रॉब्लम है। इससे निजात दिलाने के लिए नगर निगम गंभीर है। बंदरों को शहर से दूर करने के लिए योजना बनायी जा रही है।

गौरांग राठी, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive