नगर निगम की कार्यकारिणी मीटिंग में उठा बंदरों को पकड़ने का मुद्दा

बंदर पकड़ने के सवाल पर नगर आयुक्त ने शासन के पल्ले में डाली गेंद

आगरा। शहर में बंदरों का आतंक चरम पर है। आए दिन आम आदमी से लेकर ताज का दीदार करने आने वाले सैलानियों को शिकार बना रहे हैं। बावजूद इसके नगर निगम की कार्यकारिणी में बंदर पकड़ने के मामले में अफसर गेंद एक दूसरे के पाले में फेंकते रहे। स्थिति जस की तस है। बंदरों को पकड़ने का अफसर खूब ढिंढ़ोरा पीटते रहे, लेकिन एक भी बंदर नहीं पकड़ा जा सका।

नगर निगम की कार्यकारिणी की मीटिंग में उठा मुद्दा

बुधवार को स्मार्ट सिटी के ऑफिस नगर निगम कार्यकारिणी की मीटिंग हुई। इसमें पार्षद शरद चौहान ने शहर में बंदरों के आतंक का मुद्दा उठाया। इस पर नगर आयुक्त अरुण प्रकाश ने कहा कि हमारी मीटिंग वन विभाग के साथ हुई है। इसके लिए शासन से एनओसी प्राप्त नहीं हुई है।

ये है हकीकत

अगस्त 2011 में प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें 12 बिन्दुओं पर एक एसओपी बनाई गई। इसमें बंदरों को पकड़ने की अनुमति मांगी गई थी। जो नगर निगम को प्राप्त हो गई थी। सूत्रों की मानें तो बंदरों को पकड़ने का काम नगर निगम को ही करना था। खर्चा भी वहन करना था, लेकिन कोई बंदर नहीं पकड़ा जा सका। नगर निगम के अफसरों ने बंदर पकड़ने की जिम्मेदारी वन विभाग की बताई।

ताज पर बंदर पकड़ने को भी लिखे गए पत्र

एएसआई ने ताज पर बंदरों को पकड़ने के लिए कई पत्र लिखे। इसमें 22 मई 2018 को एएसआई ने बंदर पकड़ने के लिए पत्र लिखा। इसके बाद 12 जून 2018 को एएसआई ने डीजी को पत्र लिखते हुए आगरा कमिश्नर, डीएम, नगर निगम और एडीए के अधिकारियों को पत्र भेजा। 16 जुलाई 2018 को एएसआई ने फिर से पत्र लिखा। 27 अगस्त 2018 को पत्र लिखा गया। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

प्रस्ताव बना लेकिन नहीं हो पाया लागू

सिटी में उत्पात मचा रहे बंदरों के लिए वर्ष 2015-16 में प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस दौरान तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने वाइल्ड लाइफ एसओएस अधिकारियों के साथ मीटिंग कर बंदरों के लिए मथुरा के चुरमुरा में स्थान निर्धारित किया गया था। इसके लिए उस दौरान 2.5 करोड़ रुपये मंजूर भी हो गए थे, यहां बंदरों को पकड़कर उनका वैक्सीनेशन किया जाना था। बंदरों के लिए हॉस्पिटल भी खोला जाना था। दूसरा प्रस्ताव तैयार हुआ था कि बंदरों को पकड़कर कीठम के जंगलों में छोड़ दिया जाए। पहले प्रस्ताव पर सहमति बन गई थी। लेकिन बाद में इस प्रस्ताव पर भी कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।

सिटी में इन स्थानों पर है बंदरों का आतंक

सिटी में जिन स्थानों पर बंदरों का आतंक हैं, उसमें कलक्ट्रेट, फुलटट्ी बाजार, सुभाष बाजार, कोतवाली, एसएन मेडीकल कॉलेज, जिला अस्पताल, लेडी लायल, बल्केश्वर, बेलनगंज, राजामंडी, आगरा कैंट, ताजगंज, शाहगंज, सेवला, नूरी गेट आदि क्षेत्र हैं। इसके अलावा रुनकता, किरावली, अछनेरा जैसे ग्रामीण इलाकों में भी बंदरों का आतंक है।

बंदरों से काटे जाने वाली घटनाओं पर एक नजर

- गत वर्षो में बंदर के काटे से जाने की दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं।

- 13 नवंबर 2018 को रुनकता में मां की गोद में दूध पी रहे 14 दिन के बच्चे को बंदर ने पटक कर मार दिया था।

- 29 मई 2018 को धारकान चौराहे से बंदर सर्राफ से 1.40 लाख का थैला छीन ले गया था।

31 अगस्त 2017 रकाबगंज छीपीटोला जैन गली में सुनील शिवहरे नामक व्यक्ति तीन मंजिल इमारत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था।

- 30 अगस्त 2017 को रावली निवासी मुकेश पुत्र ज्ञानीराम की मौत हो गई थी।

- गत वर्ष शाहगंज में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

- इसी वर्ष कलक्ट्रेट में बंदर एक व्यक्ति से लाखों रुपये का बैग छीनकर ले गया था

- पिछले चार महीनों में ताज पर आधा दर्जनों विदेशी सैलानियों को बंदरों ने काट खाया है।

Posted By: Inextlive