1500 से अधिक पहुंचे भूले-भटके शिविर तक

कई को दो दिन बाद भी नहीं मिला अपनों का पता

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PRAYAGRAJ: कुंभ में बिछड़ न जाएं इसके लिए पूरा एहतियात बरता था। ग्रुप लीडर ने तौलिए को झंडा बना लिया था। साथियों ने हाथ थाम रखा था। स्नान हिस्सों में बंटकर किया। इसके बाद भी अपनों से बिछड़ गये। सामान गंवा बैठे। कुछ को अपनों को पता भूले-भटकों को मिलाने के लिए की गयी व्यवस्था से मिल गया तो कुछ 24 घंटे बाद भी अपनों की राह तकते रहे। सोमवार को यह सिलसिला शुरू हुआ तो फिर मंगलवार की देर शाम तक नहीं थमा।

तौलिये को बना लिया झंडा निशान

मकर संक्रांति स्नान के मौके पर बड़ी संख्या ऐसे लोगों की थी जो ग्रुप में पहुंचे थे। उन्होंने अपने स्तर से तैयारी ऐसी की थी कि कोई मिस हो जाय तो भी आसपास उसे ढूंढ लिया जाय। इसके लिए पब्लिक ने तौलिये को झंडा निशान बना लिया। इसी को देखकर पूरा ग्रुप किसी एक स्थान पर रुकता और फिर आगे बढ़ता। कुछ लोगों ने बच्चों को कंधे पर बैठा लेने की टैक्टिस आजमायी। बच्चों को देखकर यह ग्रुप मूव कर रहा था। साथियों का हाथ पकड़कर चेन बना लेना और चलना यह तीसरा तरीका था। सामानों की सुरक्षा के लिए लोग ग्रुप में स्नान करने नहीं गये। टोली बना ली। एक टोली कपड़े और सामानों की सुरक्षा कर रही थी तो दूसरी स्नान कर रही थी। इसके बाद भी कई बार ऐसा हुआ कि धक्का लगा और स्नान करने वाला साथी घाट पर ही रह गया और सामान की रखवाली करने वाला ग्रुप कहीं और चला गया। इसका उदाहरण थे पश्चिम बंगाल के आसनसोल से आये चंद्रपाल। पूरा सामान और साथी कहां गायब हो गये पता ही नहीं चला। पश्चिम बंगाल से ही आयी एक महिला की भी ठीक ऐसी ही कहानी थी। खोया-पाया केन्द्र के शिविर में इन दोनों ने पूरे दिन इंतजार किया। दर्जनों बार अनाउंसमेंट हुआ लेकिन साथियों का कुछ पता नहीं चला तो संस्था के सदस्यों ने खुद टिकट बुक कराकर दोनों को घर के लिए रवाना कर दिया।

24 घंटे बाद भी अपनों का पता नहीं

हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति संस्थान के शिविर में अपनों के इंतजार में बैठी गोरखपुर की बसिया देवी, पटना की अखिली देवी और नोनू देवी को अपनों का पता 24 घंटे बाद भी नहीं मिल सका था। संस्था से जुड़े संत प्रसाद पांडेय का कहना था कि ये ग्रुप में यहां आयी थीं। साथियों से बिछड़ जाने के चलते यहां आ गयी हैं। एक दो दिन और इंतजार किया जाएगा। इसके बाद भी कोई नहीं आया तो इन्हें घर भेजवाने का इंतजाम किया जायेगा।

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बच्चे ज्यादा भटके, महिलाएं दूसरे नंबर पर

सोमवार से शुरू हुए स्नान पर्व पर संगम तट पर डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के उद्देश्य से यहां आकर अपनों से बिछड़ जाने वालों में बड़ी संख्या बच्चों की थी। खास बात यह थी कि मिसिंग बच्चों को लेकर पैरेंट्स बेहद जागरूक थे। इसी का नतीजा था कि सभी बच्चे अपनों के पास पहुंच गये। बिछड़ने वालों में दूसरा नंबर महिलाओं का था। एक और खास बात यह रही कि रास्ता भटक जाने के चलते भूले भटके केन्द्र में रहने को मजबूर लोगों में महिलायें ही ज्यादा थीं। पुरुष इस मामले में तीसरे नंबर पर थे।

वर्जन

हमारी संस्था ने भूली भटकी महिलाओं और बच्चों को मिलाने के लिए काम किया। मंगलवार को देर शाम तक करीब 900 लोगों को अपनों से मिलवा दिया गया। कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिनके अपने 24 घंटे बाद भी नहीं मिले हैं।

संत प्रसाद पांडेय

हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति

हमारी संस्था की मदद से अब तक कुल 550 लोगों को मिलवाया जा चुका है। एक पुरुष और एक महिला ऐसी भी थी जिनका पूरा सामान गायब हो गया था और अपने भी नहीं मिले तो उन्हें टिकट कराकर अपने घर भेजवा दिया गया है।

उमेश तिवारी

भूले भटके शिविर कुंभ मेला

Posted By: Inextlive