छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : शहर में ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन न तो गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर इसका कोई असर पड़ रहा है और न ही इसके इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या ही कम हो रही है। 24 जुलाई 2012 से स्टेट में गुटखा पर पाबंदी लगाए जाने के बाद पान मसाला और जर्दा की बिक्री में इजाफा हो गया है। जुगसलाई स्थित पान मसाला डीलर रमेश अग्रवाल ने बताया शहर में हर दिन लगभग 70 लाख रुपए के तंबाकू का कारोबार होता है। इसमें सबसे ज्यादा सिगरेट (60 परसेंट), जर्दा (20-25 परसेंट) और पान मसाला (15 परसेंट) की बिक्री होती है।

युवाओं की तादाद ज्यादा

शहर के ज्यादातर लोग रोजाना कम से कम 10 रुपए किसी ना किसी तंबाकू के सेवन पर इस्तेमाल करते हैं। यानी हर महीने 300 रुपय तथा साल में 4800 रुपए उनका खर्च तंबाकू पर होता है। साकची स्थित शीतल छाया के ओनर संजय ने बताया कि तंबाकू सेवन करने वालों में ज्यादातर यूथ हैं। इनमें भी 20 ले 25 की उम्र वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।

ओरल कैंसर के मरीजों की बढ़ रही संख्या

तंबाकू के बढ़ते उपयोग से शहर में काफी संख्या लोग ओरल कैंसर गिरफ्त में आते जा रहे हैं। मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल बिष्टुपुर के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ नथीस अक्तर खान ने कहा कि तंबाकू में पाया जाने वाला निकोटिन साइको एक्टिव ड्रग होता है। इसका असर शरीर के हार्ट, लीवर, लंग्स, किडनी, माउथ पर होता है। उन्होंने बताया कि तंबाकू के सेवन से हेड, नेक, लेकेमिया, स्टमड, किडनी, पैक्रियाज, फॉसन, ब्लैडर, और थ्रौट कैंसर होता है। तंबाकू से कई तरह के क्रोनिक डिजीज जैसे स्ट्रोक, ब्लाइंडनेस, क्रोनिक लंग डिजीज और अस्थमा भी हो सकती है।

Posted By: Inextlive