आई शॉकिंग

रिम्स के मुर्दा घर का डीप फ्रीजर खराब

तीन दिनों से 3 लाशें पड़ी हैं फ्रीजर से बाहर

बदबू से लोग परेशान, सामने ही है रिम्स हॉस्टल

5000 लावारिश लाशें दो साल के भीतर आईं झारखंड के अस्पतालों में

70000 लाशें देश भर के मुर्दा घरों में पड़ी हैं अंतिम संस्कार के इंतजार में

गाइड लाइन के अनुसार यह होना चाहिए

। किसी भी शव के अस्पताल पहुंचने पर उसकी फोटोग्राफी हो।

2. मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर परिजनों को खोजा जाए।

3. एक लावारिश लाश के निष्पादन पर 5000 रुपए खर्च हो।

4. अधिकतम 72 घंटे लाश रखने के बाद उसका निष्पादन हो।

5. शव शरीरिक परीक्षण के बाद ज्ञात आस्था के अनुसार उसी धर्म के अनुसार विधि विधान से अंतिम संस्कार हो।

nadeem.akhtar@inext.co.in

RANCHI (12 Apr)

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में लावारिश लाशों की दुर्गति हो रही है। अस्पताल के शव गृह का डीप फ्रीजर खराब हो चुका है, जिससे उसमें रखी लाशें सड़ने लगी हैं। डीप फ्रीजर का तापमान फ्8 डिग्री सेल्सियस बता रहा है। तीन शव तो डीप फ्रीजर के बाहर रखा गया है, जिससे उठ रहे दुर्गध से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। रिम्स का मुर्दा घर वैसे तो वार्ड से दूर ही है, लेकिन इसके आसपास ही मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का हॉस्टल भी है। बदबू हॉस्टल तक पहुंच रही है।

एक पैसा खर्च नहीं करता िरम्स प्रशासन

रिम्स के शव गृह की स्थिति काफी वीभत्स है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी राज्यों के गृह सचिवों के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 जनवरी ख्0क्म् को एक बैठक की थी। इस बैठक में लावारिश लाशों के निष्पादन के लिए एक गाइड लाइन तैयार किया गया है। इसके अनुसार किसी भी लावारिश लाश को 7ख् घंटे से ज्यादा नहीं रखना है। इसके अलावा मीडिया के माध्यम से शव के चित्र व अन्य डिटेल प्रकाशित करने हैं। आश्चर्यजनक तरीके से रिम्स में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। रिम्स प्रशासन लावारिश शवों के निष्पादन पर एक पैसा खर्च नहीं करता।

एनजीओ के माध्यम से एक साथ होता है अंतिम संस्कार

रिम्स में लंबी अवधि तक लाशों को रखा जाता है। इसके बाद बड़ी संख्या में लाशों का एक गैर सरकारी संस्था के माध्यम से दाह संस्कार कर दिया जाता है। यह सरासर गलत है। दरअसल, किसी भी लावारिश लाश को उसकी ज्ञात आस्था (नोन फेथ) के अनुसार निष्पादित करना है।

मीडिया के माध्यम से भी नहीं होता प्रचार

रिम्स में आनेवाली लावारिश लाशों की शिनाख्त के लिए किसी प्रक्रिया का पालन नहीं होता। न तो अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि लाशों की पहचान नहीं हो पाती और महीनों सड़ने के बाद इन्हें एक साथ जला दिया जाता है।

बाक्स (दौरा करते फोटो है)

सुप्रीम कोर्ट जाएगा रिम्स का मामला

रिम्स में सड़ रही लावारिश लाशों का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। पिछले क्7 वर्षो से अज्ञात लाशों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे गुड्डू बाबा ने बुधवार को रिम्स के दौरा किया। उन्होंने कहा कि रिम्स की बदहाल व्यवस्था से वह न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी अवगत कराएंगे। वे मूल रूप से पटना में रहते हैं और पूरे देश में लावारिश लाशों को सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है, जो अपनी अनुशंसाएं सर्वोच्च न्यायालय को देती रहती है। उन्होंने मांग की है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय लावारिश लाशों के लिए एक पोर्टल तैयार करे, जिसमें सभी राज्यों से डेटा फीड कर लाशों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी जाए। इसके अलावा हर लाश पर भ्000 रुपए खर्च किए जाएं।

Posted By: Inextlive