700 आरटीआई पर 'कुंडली' मारकर बैठे अफसर
-सर्वाधिक आरटीआई प्राधिकरण और डीएसओ में हैं लंबित
- राज्य सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह आज कलक्ट्रेट में करेंगे समीक्षा Meerut : भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का हथियार आरटीआई पर मेरठ में हाकिमों ने कुंडली मार रखी है। जिले में करीब 700 आरटीआई आवेदनों का अफसर जवाब नहीं दे रहे हैं। राज्य सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह सोमवार को कलक्ट्रेट स्थिति बचत भवन में पेंडिंग की समीक्षा करेंगे। इन बिंदुओं पर होगी समीक्षा -सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्राप्त सूचना आवेदनों के त्वरित निस्तारण और सूचना उपलब्ध कराने में लापरवाही बरतने वालों पर कार्यवाही? -जिन मामलों में जन सूचना अधिकारी पर सूचना आयोग द्वारा अर्थदंड घोषित किया गया, उनसे वसूली की स्थिति? - सभी विभागों, कार्यालयों में जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी की सूची और कार्यालयों के बाहरी हिस्से में नाम आदि स्पष्ट दर्ज है अथवा नहीं?-जिले के संबंधित मामलों में लंबित प्रकरणों के निस्तारण की कार्ययोजना बनाई जाएगी।
-सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित बिंदुओं पर चर्चा। पेन्डेंसी विभाग लंबित आवेदन मेरठ विकास प्राधिकरण 250नगर निगम 200
डीएसओ 150 बीएसए 70 विकास खंडों 50 कलक्ट्रेट 45 डीआइओएस 12 डीपीआरओ 10 विद्युत विभाग 14 कार्यक्रम विभाग 13 समाज कल्याण 12 नोट: करीब 700 आरटीआई 85 विभागों में पेंडिंग हैं। --- न्यायालयों की तरह सूचना आयोग में पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। फार्मेट पर सूचना देने का काननू मूल अधिनियम की दम घोट रहा है। शिकायतकर्ता, अपीलकर्ता को आयोग आने-जाने का खर्च दे। संदीप पहल, आरटीआई एक्टिविस्ट ---जन सूचना अधिकारियों से अर्थदंड की वसूली नहीं होती है, 3 बार अर्थदंड तामील होने पर विभाग को ब्लैकलिस्टेड किया जाना चाहिए। आयोग में सरकारगीरी ज्यादा है, अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही नहीं हो रही।
-लोकेश खुराना, आरटीआई, एक्टीविस्ट