- एलडीए के पूर्व चीफ इंजीनियर के बेटे ने घर में ही रख रखी थी मां की लाश

- बोला, मां छोकर चली जाती इसलिए नहीं दफनाई लाश

- दुर्गध उठने पर पड़ोसियों ने दी पुलिस को सूचना

- मानसिक विक्षिप्त है इंजीनियर का बेटा, मौत की वजह अभी स्पष्ट नहीं, पीएम रिपोर्ट का इंतजार

LUCKNOW : अब्बा 12-13 साल पहले छोड़कर चले गएअब अम्मी भी छोड़कर चली जाती, इसलिए लाश नहीं दफनाईहैरान कर देने वाला यह बयान पुलिस को दिया निरालानगर एरिया में रहने वाले इंजीनियर फिरोज जमाल अहमद ने। पुलिस उनके पड़ोसियों की सूचना पर वहां पहुंची थी। घर में फिरोज की मां की लाश बेहद क्षत-विक्षत हालत में बेड पर रखी हुई थी। उसने पुलिस को बताया कि 20-25 दिन पहले उसकी मां का इंतकाल हो गया था। पर, वह उनसे बिछड़ना नहीं चाहता था। इसीलिए वह उन्हें अपने पास रखे था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया है। शुरुआती जांच में मृतका की मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है।

दंग रह गए पुलिसकर्मी

सीओ महानगर विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, हसनगंज स्थित निरालानगर के डीएस-6 बंगले से शनिवार शाम भीषण दुर्गध उठने लगी। जिस पर आस-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को घटना की सूचना दी। अनहोनी की आशंका में पुलिस आनन-फानन बंगले पर पहुंची और दरवाजे पर दस्तक दी। दरवाजा फिरोज जमाल अहमद ने खोला। दरवाजा खुलते ही दुर्गध का झोंका बाहर निकला तो पुलिसकर्मी भी वहां से बाहर की ओर भाग निकले। कुछ देर तक सामान्य होने के बाद आखिरकार पुलिसकर्मी मुंह पर कपड़ा लपेटकर मकान के भीतर दाखिल हुए। भीतर कमरे में पड़े बेड पर एक महिला पर चादर ओढ़ाई हुई थी। पुलिसकर्मियों ने जब चादर हटाई तो उसके नीचे बुजुर्ग महिला की लाश देख सिहर उठे। लाश बुरी तरह सड़ चुकी थी। देखकर साफ मालूम पड़ रहा था कि लाश कई दिन पुरानी है।

नहीं रखते थे किसी से संबंध

पुलिस ने फिरोज जमाल से पूछताछ की तो उसने बताया कि लाश उसकी मां मोना जबीन खान (90) की है। उसने बताया कि वह अपनी मां से बेहद प्यार करता है। 20-25 दिन पहले मां का देहांत हो गया। पर, मां के बिछड़ने के डर से उसने उनकी लाश को नहीं दफनाया और उसे अपने साथ रखने का फैसला किया। फिरोज ने बताया कि उसके पिता स्व। रहमत खान एलडीए के पूर्व चीफ इंजीनियर थे। 2003 में उनका इंतकाल हो गया। जिसके बाद मां और छोटी बहन हुमा खान (45) के साथ रहता था। हैदराबाद स्थित एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट से बीटेक करने वाले फिरोज ने बताया कि उसने कुछ दिन एलडीए में इंजीनियर के पद पर नौकरी भी की लेकिन, उसका मन न लगा और वर्ष 2005 में उसने नौकरी छोड़ दी। बहन हुमा के बारे में फिरोज ने बताया कि वह एक सप्ताह पहले मुंबई जाने की बात कहकर निकली थी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया।

बंगला बना दिया हॉन्टेड हाउस

पुलिसकर्मी जब बंगले के भीतर दाखिल हुए तो वहां का नजारा देख वे भी दंग रह गए। हाईप्रोफाइल परिवार का ऐसा रहन-सहन किसी भी पुलिसकर्मी के गले नहीं उतर रहा था। बंगले में जगह-जगह मकड़ी का जाला लगा हुआ था। वहां रखे सामानों पर मोटी धूल की पर्त चढ़ी थी। रोशनी के नाम पर जीरो वॉट के बल्ब जल रहे थे। बाथरूम व किचन में भी बेहद गंदगी थी। घर में गंदे कपड़ों का अंबार लगा हुआ था। वहां का सीन देखकर बंगला बिलकुल हॉन्टेड हाउस सरीखा लग रहा था। सीओ विशाल विक्रम के मुताबिक, पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि फिरोज और उसका परिवार आस-पड़ोस में किसी से भी संबंध नहीं रखता था। वे लोग हमेशा घर में ही रहते थे। उनकी हरकतें और बर्ताव को देखकर साफ पता चलता था कि वे सभी मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। उनके घर कोई रिश्तेदार भी नहीं आता देखा गया। घर की हालत और फिरोज का बयान भी पड़ोसियों की बात की पुष्टि कर रहा था।

Posted By: Inextlive