-बनारस में तैयार होगा यूपी का पहला मदर मिल्क बैंक

-शिशु मृत्यु दर को कम करने में होगा सहायक

कई ऐसे नवजात हैं जो मां के दूध के अभाव में दम तोड़ देते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। स्वास्थ्य महकमे ने मदर मिल्क बैंक खोलने की प्लानिंग की है। इसे बीएचयू के मॉडर्न मैटरनल ऐंड चाइल्ड हेल्थ विंग में तैयार किया जाएगा। यह यूपी का पहला ऐसा मदर मिल्क बैंक है जिसे बनारस में बनाने कवायद की जा रही है। चिकित्सकों की मानें तो जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए मदर मिल्क बैंक किसी वरदान से कम नहीं होगा। इससे दूध से वंचित शिशुओं को मां का दूध मुहैया हो सकेगा।

शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा पिछले साल जारी रिपोर्ट 'कैप्चर द मोमेंट' में बताया गया हैं कि जन्म के बाद नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग या स्तनपान से वंचित रखना जानलेवा हो सकता है। इन्हीं संगठनों द्वारा 2016 में जारी एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत, इंडोनेशिया, चीन, मैक्सिको और नाइजीरिया में अपर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क या मां का दूध न मिलने के चलते हर साल 2,36,000 नवजात की मौत हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शिशुओं को मां का दूध न मिलना एक बड़ी समस्या है। ऐसे बच्चों की तादाद देश में करीब 40 से 41 फीसदी है, जिन बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में इस तरह के मदर मिल्क बैंक काफी सहायता मिलेगी। बीएचयू में मदर मिल्क बैंक के बनने से शिशु मृत्युदर को निश्चित तौर पर कम किया जा सकेगा। इस नए प्लान के लिए नेशनल हेल्थ मिशन और उस संस्था से बातचीत की जा चुकी है, जो मदर मिल्क बैंक बनाने में हेल्प करने वाली है। इसके लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा है।

प्रेगनेंट वूमेन की काउंसलिंग भी

मिल्क बैंक को सफल बनाने के लिए यहां प्रसूताओं की काउंसलिंग भी की जाएगी। जिससे उन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके। यही नहीं आशा और एएनएम की मदद से गांव-गांव तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि मां का दूध शिशु के लिए कितना जरूरी है। चिकित्सकों की माने तो मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व नवजातों को बीमारियों और किसी भी संक्त्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।

बैंक में ऐसे आएगा दूध

-मिल्क बैंक में दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते, या फिर जिन्हें जरूरत से ज्यादा दूध आता है।

-महिलाओं को अवेयर किया जाएगा कि उनके दूध से किसी को जीवन दान मिल सकता है।

-मदर मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक पंप लगाया जाएगा। जिससे मिल्क डोनर से दूध इकट्ठा किया जाएगा।

-डोनेट किए गए इस दूध का माइक्रोबायॉलॉजिकल टेस्ट होगा।

-दूध की गुणवत्ता ठीक होने पर उसे सीसे की बॉटल्स में लगभग 30 मिलीलीटर की यूनिट बनाकर 0. 20 डिग्री सेंटिग्रेट तापमान पर रखा जाएगा।

-बैंक में रखा दूध छह माह तक सुरक्षित रह सकता है।

यह शिशु स्वास्थ्य की दिशा में बहुत ही बड़ा और सकारात्मक कदम है। इससे उन तमाम नवजात शिशुओं को जान मिलेगी जो मां का दूध न मिलने से मौत के मूंह में चले जाते हैं।

प्रो। मधु जैन, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष, बीएचयू

Posted By: Inextlive