-बसंत पंचमी पर मेला क्षेत्र के शिविरों में मां सरस्वती के उत्सव की धूम

-कहीं पंच द्रव्य से अभिषेक तो कहीं फूलों की हुई वर्षा

ALLAHABAD: संगम की रेती पर मेले के चौथे प्रमुख स्नान पर्व बसंत पंचमी पर अध्यात्म का अलौकिक नजारा दिखाई दिया। दंडी बाड़ा से लेकर आचार्य बाड़ा में स्थित दंडी संन्यासियों के शिविर में ज्ञान व बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य उत्सव की धूम रही। जहां शिविरों में पंच द्रव्य दूध, दही, शहद, शक्कर व गंगाजल से मां सरस्वती का अभिषेक किया गया और गुलाब व गेंदे के फूल से पुष्प वर्षा कर अबीर-गुलाल लगाया गया। वहीं खाक चौक क्षेत्र के तपस्वी नगर में जन कल्याण के लिए त्यागी संतों ने गंगा दशहरा तक की जाने वाली साधना धुनी लगाने का आगाज भी किया।

दंडी बाड़ा के नागेश्वर धाम शिविर में अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम की अगुवाई में मां सरस्वती का प्राकट्य उत्सव पंच द्रव्य से अभिषेक कर मनाया गया। उसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा की गई। चरखी दादरी अन्न क्षेत्र व मां कामाख्या संस्थान सहित कई शिविरों में विधि-विधान से मां का प्राकट्य उत्सव धूमधाम से मनाया गया। त्रिवेणी मार्ग स्थित साकेत धाम में गेंदे के फूलों से मां का श्रृंगार करके अभिषेक पंच द्रव्य से किया गया।

खाक चौक में धूनी की तपस्या

जन कल्याण के लिए तपस्वी नगर में त्यागी संतों ने महा तप शुरू किया। खाक चौक के तपस्वी नगर में धूनि लगाई। गंगा स्नान के बाद तपस्वियों ने अपने चारों अग्निकुंड बनाकर खुद उसमें बैठे और अग्नि को साक्षी मानकर तपस्या शुरू की। उसके बाद भजन व मां सरस्वती को स्मरण कर इस प्रक्रिया को दो घंटे तक किया। तपस्वी नगर के अखिलेश दास ने बताया कि अग्नि को साक्षी मानकर जन कल्याण के लिए धूनि लगाने की तपस्या चार महीने तक की जाएगी। शिविर में माघी पूर्णिमा तक तपस्या चलती रहेगी उसके बाद जहां से त्यागी संत आएं हैं वह अपने स्थान पर साधना करेंगे।

Posted By: Inextlive