गरीबों की मसीहा के रूप में पहचानी जाने वाली मां मदर टेरेसा का नाम आज पूरी दुनिया में चर्चा में छाया है। आज वेटिकन सिटी में रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस उन्‍हें संत की उपाधि से नवाजेंगे। ऐसे में सिर्फ वेटिकन सिटी ही नहीं बल्‍कि भारत में भी जश्‍न मनाया जा रहा है। आइए जानें कोलकाता में अंतिम सांस लेने वाली सिस्‍टर से मदर के रूप में पहचानी गईं मदर टेरेसा से जुड़ी ये 20 बातें...


पिता की मौत: अगनेस गोंझा बोयाजिजू के पिता की मौत तभी हो गई थी जब वह महज 8 साल की थीं। जिससे इनकी फैमिली को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।घर छोड़ दिया: 87 साल की उम्र तक जीने वाली अगनेस 18 साल की उम्र की थी तभी उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। उन्होंने आयरलैंड के लोरेटो में सिस्टर के रूप में काम शुरू किया है।नाम टेरेसा रखा: 1931 में वह एक नन के तरीके से काम करने लगी। इसके बाद उन्होंने अपना नाम टेरेसा रख लिया था। इस दौरान वह गरीबों की सेवा के लिए अपने कदम बढ़ाती रहीं। सेवा के लिए पुकार:


1946 में टेरेसा एक बार फिर दार्जिलिंग की यात्रा पर गईं। उनका कहना था कि उन्हें ऐसा सुनाई दे रहा है कि गरीब से गरीब लोग उन्हें अपनी सेवा के लिए पुकार रहे हैं। जिससे वह अब इसमें पीछे नहीं हटेंगी। सिंपल साड़ी पहनी:

सिस्टर टेरेसा 1948 में एक नन के तरह से काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने सिंपल साड़ी और सैंडल पहने। इसके बाद वह वह झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की सेवा करने लगीं। हिम्मत नहीं हारी: हालांकि टेरेसा ने हिम्मत नहीं हारी। वह अपने पहले प्रोजेक्ट में गरीब बच्चों को पढ़ाने के साथ उन्हें समाज का ज्ञान देती रहीं। वह बच्चों को वही शिक्षा दे रही थी जो रईस बच्चों को दी जाती थी। हालांकि इस दौरान कोई यंत्र नहीं था लेकिन वह लिखकर ही बच्चों को सब समझाती थीं।फेमस होने लगीं: अब वह अपने इन कामों की वजह से सिस्टर से मदर टेरेसा के नाम से फेमस होने लगीं। धीरे-धीरे पूरे देश में इनके वॉलिंटियर बनने लगे। इन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। सादा जीवन जिया: मदर टेरेसा की पूरे देश में चर्चा होने लगी। इसके बाद ही मदर टेरेसा ने सादा जीवन जीवने के साथ ही जीवन के लिए बस नीले रंग की बार्डर वाली सफेद साड़ी धारण करने का फैसला लिया। नोबेल शांति पुरस्कार:

मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। नोबेल पुरस्कार में उन्हें 192,000 डॉलर की धन-राशि मिली थी। इस धनारशि को उन्होंने गरीबों के लिए दान कर दिया था। 2003 को रोम में मदर टेरेसा को धन्य घोषित किया था। दुनिया को अलविदा: हालांकि वह दुनिया को अलविदा कह गईं। संस्था 123 देशों में समाज सेवा में लिप्त थीं। आज भी उनकी संस्थाएं समाज में गरीबों की सेवा के लिए सक्रिय हैं। आज इन्हीं सब वजहों से आज मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जा रही है।

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Posted By: Shweta Mishra