मदर टंग को बढ़ावा देगा सीबीएसई
- मातृभाषा को लेकर स्कूलों को बोर्ड ने दिया सर्कुलर
PATNA: सीबीएसई स्कूलों के बच्चे भी अब मातृभाषा में बात कर सकते हैं। इसके लिए स्कूल उनहें फाइन नहीं करेगा। बच्चों को अपने मातृभाषा के प्रति अवेयर करने को लेकर पहल शुरू कर दी है। अब स्कूलों की मनमानी नहीं चलने वाली है। अब सीबीएसई स्कूलों के बच्चे भी अपनी मातृभाषा को जाने समझें, उसके प्रति बच्चों का लगाव बढ़े इसके लिए सीबीएसई ने पहल शुरु कर दी है। एडमिशन लेते टाइम भरना होगासेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन ने मातृभाषा के प्रति जागरूकता लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उसी के तहत सीबीएसई ने कहा है कि अब एडमिशन फार्म और विड्रॉल रजिस्टर पर भी मातृभाषा का एक कॉलम होगा। स्कूल अब बच्चों का एडमिशन लेते समय बच्चों से मातृभाषा के बारे में न केवल पूछेगा, बल्कि रजिस्टर्ड भी मैनटेन करेगा। बोर्ड ने सभी स्कूलों को इसके रिगार्डिग सर्कुलर भेज दिया है।
रखना होगा मातृभाषा का भी टीचरस्कूल अब बहाना नहीं बना सकते हैं कि उनहें मराठी, गुजराती, तेलगु आदि मातृभाषा के शिक्षक नहीं मिलते हैं, या फिर यहां पढ़ाई नहीं जाती है। अब स्कूलों को मातृभाषा का भी शिक्षक रखना होगा। यही नहीं, जिस बच्चे की जो मातृभाषा होगी वहीं वह पढ़ेंगे भी। उदाहरणस्वरूप अगर किसी की मातृभाषा बंगला है और नामांकन के समय उसने बंगला लिखा है, तो पांचवी से आठवीं तक तीसरी भाषा के रूप में बंगला पढ़नी होगी।
पहली बार बोर्ड ने लिया डिसीजन बोर्ड की ओर से पहली बार इस तरह की नई योजनाएं शुरू की गई हैं। नामांकन फॉर्म में ख्ब् कॉलम होता है अब यह बढ़ कर ख्भ् हो जाएगा। ऐसा करने के पीछे बोर्ड का उद्देश्य मातृभाषा को जीवित रखना और बढ़ावा देना है।