RANCHI: एक मां, जिसने कोख का बेटा खोया, तो क्00 बच्चों को गोद ले लिया और उनकी जिंदगी संवार रही हैं। जी हां, डोरंडा के एजी कॉलोनी निवासी अनिता सिंह अपने दिवंगत इकलौते बेटे अनुराग सिंह के नाम पर एक चैरिटेबल ट्रस्ट चला रही हैं, जहां क्00 बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का सारा खर्च वह खुद वहन कर रही हैं। पति से अलगाव व बेटे की एक्सीडेंट में मौत के बाद भी अनिता सिंह हौसला नहीं हारीं और दूसरों के बच्चों की जिंदगी संवार कर मिसाल पेश कर रही हैं।

पति से हुआ अलगाव

रांची के लॉरेटो स्कूल व निर्मला कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद अनीता सिंह की शादी हुई और वह कोलकाता शिफ्ट हो गई। लेकिन, इसी बीच साल 89 में पति से उनका अलगाव हो गया और वह अपने बेटे अनुराग सिंह को लेकर अपने मां-बाप के घर रांची लौट आई। यहां आकर एक सिंगल मदर की सारी चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने एक तरफ जहां अपने बेटे को हायर एजुकेशन दिया, वहीं उसके सारे सपनों को भी पूरा करने में लगी रहीं। इस बीच मां-बाप पर भार न बनते हुए उन्होंने अपने फादर के बिजनेस को भी संभाल लिया। बेटा भी सेंट जेवियर स्कूल डोरंडा व जेवीएम श्यामली स्कूल से क्ख्वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद कर्नाटक के फेमस मनिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने लगा। साल ख्0क्0 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद हायर एजुकेशन के लिए अनुराग का अमेरिका की साउथ कैरोलिना यूनिवर्सिटी में सेलेक्शन हो गया।

एक्सीडेंट में बेटे की हुई मौत

इसी बीच एक ऐसी घटना हो गई, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। ख्0 जनवरी ख्0क्क् को मनिपाल में सर्टिफिकेट लेने गए अनुराग सिंह की बाइक एक्सीडेंट में मौत हो गई। इसके साथ ही अनीता सिंह पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उस मनहूस घड़ी को याद करते हुए आज भी अनीता सिंह सिहर जाती हैं। अनीता सिंह कहती हैं कि उनका बेटा ही उनकी जिंदगी का एकमात्र सहारा था। उसके चले जाने के बाद ऐसा लगा कि अब जिंदगी में कुछ बचा ही नहीं। जिंदगी बेमतलब हो गई।

बेटे के सपने को बनाया मिशन

इसी बीच जब वह अनुराग के दोस्तों से मिली और उसके कॉलेज लाइफ के बारे में जाना, तो उन्हें जीने का एक नया मकसद मिल गया। पता चला कि उनका बेटा अपनी पढ़ाई के साथ ही गरीब बच्चों के एजुकेशन के लिए भी काम करता था। उसका सपना था कि कोई भी बेसहारा व गरीब बच्चा एजुकेशन से वंचित न रहे। इस बात को जानकर अनीता सिंह ने ठान लिया कि वह अपने बच्चे के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए गरीब बच्चों को एडाप्ट कर उन्हें पढ़ाएंगी। इसी मिशन को पूरा करने के लिए अनीता सिंह ने अपने करियर व बिजनेस को छोड़कर गरीब बच्चों को पढ़ाने में जुटी हैं।

पहले साल म् बच्चों को लिया गोद

अनीता सिंह ने साल ख्0क्क् में छह ऐसे बच्चों को गोद लिया, जिनके घर वाले उन्हें पढ़ाने और अच्छी जिंदगी देने में समर्थ नहीं थे। अनीता सिंह कहती हैं कि वह पहले साल एक मूक बधिर स्कूल के दो बच्चों सहित बस्तियों से भी चार बच्चों को गोद लिया। फिलहाल ये क्00 बच्चों की शिक्षा की जिम्मेवारी संभाल रही हैं, जो विभिन्न क्लास में पढ़ रहे हैं। इनका अच्छे स्कूल में एडमिशन कराया और उनकी पढ़ाई का सारा खर्च भी खुद वहन करने लगीं। इनमें से एक लड़की जाह्नवी ने क्लास क्0 में 8भ् प्रतिशत अंक लाए और अब वह उर्सुलाइन में पढ़ रही है। वहीं, एक लड़का नीतिश कुमार ने जैक बोर्ड के मैट्रिक एग्जाम में रांची डिस्ट्रिक्ट में छठा रैंक लाया।

हर बच्चे पर 8 हजार सालाना खर्च

अनीता सिंह जिन क्00 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं, उनमें से हर एक बच्चे पर सालाना 8 हजार रुपए खर्च कर रही हैं। इसके लिए उनके बेटे अनुराग सिंह के स्कूल व कॉलेज टाइम के दोस्त (जो आजकल इंडिया के साथ ही विदेशों में भी काम कर रहे हैं) आर्थिक मदद कर रहे हैं। इसके साथ ही अनीता सिंह अपनी जमा पूंजी को भी इन बच्चों पर खर्च कर रही हैं। उन्होंने अनुराग सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट की भी स्थापना की हैं।

गोद लिए बच्चों को ट्यूशन भी

अनीता सिंह जिन बच्चों को गोद ली हैं, उन्हें जेएमजे स्कूल में एडमिशन कराने के साथ ही खुद ट्यूशन भी पढ़ाती हैं। अनीता सिंह का कहना है कि जिस दिन ये बच्चे पढ़ाई-लिखाई कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाएंगे। मेरे बेटे के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Posted By: Inextlive