GORAKHPUR : मां, महज एक छोटा सा लफ्ज, लेकिन इसकी गहराई में जाएं तो इसके सामने सभी पैमाने छोटे नजर आएंगे। बच्चों की खुशी के लिए मां ने न जाने कितने कॉम्प्रोमाइज किए। खुद भूखे पेट रही, लेकिन बच्चों का पेट भर जाए इसका हमेशा ख्याल रखा। सुख-दुख हर वक्त खुद से ज्यादा बच्चों पर ध्यान दिया। बदलते वक्त के साथ जैसे-जैसे बच्चे अपडेट हो रहे हैं, वैसे ही मदर्स भी उनसे कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। मदर्स डे पर आई नेक्स्ट ने जब डिजिटल दुनिया के इस गलियारे में मां की नई छवि तलाशने की कोशिश की तो इसमें मां एक बार फिर से वह खुद को साबित करते हुए जमाने के साथ कदम मिलाते नजर आई। कुछ ने अपने जिगर के टुकड़े के दूर होने पर उनसे हमेशा कनेक्ट रहने के लिए अपने को अपडेट किया तो कुछ ने बच्चों पर नजर रखने के लिए टेक्नोलॉजी को हाथों हाथ लिया।

बेटी की मोहब्बत ने बना दिया हाईटेक (सीनियर सिटीजन)

दादी, नानी बन चुकी सिविल लाइंस की रहने वाली रेखा गुप्ता के लिए अब लैपटॉप, टैबलेट, फेसबुक और वॉट्सएप नए व‌र्ड्स नहीं हैं। उनकी रूटीन लाइफ में यह चीजें आम हो चुकी हैं। अपने ग्रैंडसंस से बात करनी हो या फिर बिटिया का हालचाल लेना हो, वह झटपट अपने आईफोन से आरजू पूरी कर लेती हैं। इस उम्र में भी इतनी हाईटेक होने की वजह है उनकी बिटिया का प्यार। जिसका अहसास उन्हें बिटिया की शादी के बाद होने पर हुआ। पल-पल लाडली से बातचीत, हंसी-मजाक याद आने लगे। उसकी कमी खलने लगी। तब उन्होंने इस डिजिटल मोड में बदल रही दुनिया के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ने की ठानी। क्970 में पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद इस डिजिटल एरा के साथ कदम बढ़ाना आसां नहीं था, क्योंकि उस दौर में कंप्यूटर नहीं था। ख्00फ् में शादी से पहले उनकी बेटी मधु वैश्य ने उन्हें डिजिटलाइज होने के लिए प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराया। अपने मोबाइल गैजेट्स की हेल्प से बातचीत के तौर-तरीके सिखाए। बिटिया जब पति चंद्रशेखर के संग शिकागो चली गई तो अपने बेटों की हेल्प से वह धीरे-धीरे डिजिटल एरा की ओर कदम बढ़ाती गई। ख्00भ् में बेटी से मिलने जब वह शिकागो गईं तो वहीं से उन्होंने आईफोन खरीद लिया। जिसके बाद अपने गै्रडसंस की हेल्प से उन्होंने खुद को परफेक्ट किया। प्रजेंट टाइम में वह वॉट्सएप यूज कर रही हैं। वहीं फेसबुक पर भी उनका अकाउंट है। अब अपनी लाडली से उनकी रोज चैटिंग होती है। वहीं उसके दीदार के लिए वह वीडियोकॉल का भी सहारा ले लेती हैं।

फायदे हैं हजार (मिडिल एज)

जटाशंकर की रहने वाली दीपिका अरोड़ा भी जमाने के साथ कदम बढ़ा रही हैं। उन्हें जितना ध्यान अपने बच्चों का है, उतना ही अपने स्टूडेंट्स का भी है। हाईटेक दौर में आज सभी के हाथ में लेटेस्ट गैजेट्स और मोबाइल मिल ही जाएंगे। एक तरफ जहां यह काफी फायदेमंद हैं.वहीं इसका निगेटिव पहलू भी है। इस डिजिटल दौर में इन गैजेट्स का सबसे ज्यादा यूज यूथ कर रहे हैं। फेसबुक, वॉट्सएप के साथ तमाम तरह की सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर टीनएजर्स की बड़ी आबादी एक्टिव है। चैटिंग, एजुकेशन टिप्स, फ्यूचर प्लानिंग्स के साथ कई और तरीके से वह अपने दोस्तों संग जुड़े रहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के लिए उनकी मॉनीटरिंग सबसे बड़ा चैलेंज है। हर मां को इस बात का डर रहता है कि कहीं उनके बच्चे रास्ता न भटक जाएं। इस प्रिकॉशन के साथ वह लगातार कदम बढ़ा रही हैं। इसके लिए दीपिका अरोड़ा अपने बच्चों के सोशल अकाउंट से जुड़ी हुई हैं। वहीं इसके थ्रू बाकी स्टूडेंट्स के अकाउंट की भी मॉनीटरिंग करती हैं। इसके साथ ही उनके पास लेटेस्ट गैजेट्स भी हैं।

मदरहुड एनरिचमेंट के लिए भी डिजिटल प्लेटफॉर्म (अर्ली थर्टीज)

अपनों के करीब लाने की बात हो या फिर अपने बच्चों पर ध्यान रखने की जरूरत। घर बैठे सामान मंगवाने का इंतजाम हो या फिर बेहतर स्कूल का सेलेक्शन। डिजिटल एरा ने हर मायने में मां को उनकी जरूरत के हिसाब से फायदा दिया है। इन सबके बीच अब मां बनने की दहलीज पर पहुंच रही लेडीज भी डिजिटल जमाने के साथ कदम बढ़ा रही हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चलने के लिए मॉडर्न जमाने की मां को ज्यादा जद्दोजहद नहीं करनी पड़ी। वहीं इसका फायदा उठाने में वह किसी तरह से पीछे नहीं हैं। बशारतपुर की रहने वाली रूपिका हसबैंड सलोमान संग डिजिटल प्लेटफॉर्म का भरपूर यूज कर रही हैं। इसकी हेल्प से जहां वह हेल्दी रहने के लिए क्या-क्या करना चाहिए, किस तरह की एक्सरसाइज से फायदा मिलेगा जानने की कोशिश कर रही हैं। वहीं मदरहुड को लेकर भी वह कॉन्शस हैं। इसके लिए वह डिजिटल हेल्प से खुद को एनरिच करने में लगी हैं। इसके लिए वह डॉक्टर्स कंसल्ट के साथ ही वेबव‌र्ल्ड में मौजूद सभी तरह के आर्टिकल की स्टडी कर रही हैं। वहीं यह न्यूली वेडड कपल इंटरनेट और डिजिटाइजेशन के इस दौर में अपनी क्वेरीज और प्रॉब्लम का सॉल्युशन ढूंढ रहे हैं।

हर मर्ज की दवा है मोबाइल

हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसके बच्चे उसका नाम रोशन करें। इसके लिए प्राइमरी लेवल पर सबसे अहम चीज है पेरेंटिंग। यदि यह सही से दुरुस्त हो गई तो उनके ख्वाबों को हकीकत बनने से कोई नहीं रोक सकता। अब तक पेरेंटिंग टिप्स के लिए लोग बड़े बुजुर्गो का सहारा लेते रहे हैं, जिसका उन्हें काफी फायदा भी मिलता आया है। इस एडवांस जमाने में पेरेंटिंग और भी आसान हो गई है। बिजी शेड्यूल में भी बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए बड़े बुजुर्गो की राय के साथ ही ऑनलाइन पोर्टल्स भी बड़े प्लेटफॉर्म के तौर पर यूज किए जा रहे हैं। कूड़ाघाट निवासी मंशा गुप्ता ने भी खुद को डिजिटल मोड में ढाल चुकी हैं। ख्0क्ख् में गौतम गुप्ता के संग शादी के बंधन मे बंधने के बाद उन्होंने खाली वक्त में इस प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल किया। शुरुआती दिनों में जहां मदरहुड के लिए टिप्स हासिल किए, वहीं जब उनके घर नन्हीं परी जशरिथा आई तो उसकी बेहतर देखभाल के टिप्स जानने के लिए भी उन्होंने वर्चुअल व‌र्ल्ड को अपना हथियार बनाया। यह डिजिटल व‌र्ल्ड का ही कमाल है कि, उन्होंने अपनी लाडली के लिए ऑनलाइन सक कुछ पता करने के बाद ही एडमिशन के लिए स्कूल का सेलेक्शन किया। वहीं दूर-दराज में रहने वाले फैमिली मेंबर्स और रिलेटिव्स की बर्थडे और एनिवर्सरी गिफ्ट के लिए भी वह इस प्लेटफॉर्म का यूज करती हैं। मंशा के अनुसार उन्होंने अपनी बिटिया के नाम का सेलेक्शन करने के लिए भी वेब व‌र्ल्ड का सहारा लिया था। घूमने की लोकेशन और स्पेशल पैकेज जानने के लिए भी वह इसका सहारा लेती हैं और खुद को अप-टू-डेट रखती हैं।

Posted By: Inextlive