आजादी के पहले देश के बुद्धिमान वकीलों में गिने जाने वाले स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू की आज पुण्यतिथि है। आज प्रियंका गांधी के रूप में मोतीलाल नेहरू की पांचवी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है। आइए आज मोतीलाल नेहरू की पुण्‍यतिथि पर जानें उनके जीवन सफर के बारे में...


कानपुर। पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को हुआ था। मोतीलाल नेहरू के दादा दिल्ली के मुगल दरबार में ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील और पिता गंगाधर, 1857 में दिल्ली में एक पुलिस अधिकारी थे। मोतीलाल नेहरू का जन्म इनके पिता की मृत्यु के तीन महीने बाद हुआ था। मोतीलाल ने अपना बचपन राजस्थान के खेतड़ी में बिताया था। बचपन से ही बेहद जिज्ञासु थे मोतीलाल नेहरूमोतीलाल बचपन से ही बेहद जिज्ञासु और कुछ अलग करने की चाहत रखते थे। कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मोतीलाल एथलेटिक, आउटडोर खेल के शौकीन, कुश्ती में खास रुचि रखते थे। वहीं मोतीलाल नेहरू ने कानपुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की और इसके बाद इलाहाबाद के म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में एडमीशन लिया था। वकालत के सफर की शुरुआत कानपुर से की


मोतीलाल ने भी अपने दादा की तरह वकील बनने का फैसला किया। 1883 में वकील की परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की लिस्ट में मोतीलाल टाॅपर थे। इन्होंने वकालत के सफर की शुरुआत कानपुर से की थीलेकिन तीन साल बाद इलाहाबाद चले गए थे। 1887 भाई की मृत्यु हो जाने से 25 साल की उम्र में इन पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। शुरुआती दाैर में राजनीति में झुकाव कम दिखता

मोतीलाल नेहरू के घर 1889 में बेटे के रूप में जवाहरलाल का जन्म हुआ था। दो बेटियां सरूप और कृष्णा भी हुईं थीं। मोतीलाल ने 1900  इलाहाबाद में एक घर खरीदा। यह आज आनंद भवन के नाम से जाना जाता है। वहीं निजी जीवन के बाद मोतीलाल नेहरू के राजनीतिक जीवन पर नजर डालें तो में शुरुआती दाैर में राजनीति में झुकाव कम दिखता है। बढ़ते वक्त के साथ राजनीति में सक्रिय हुए मोतीलाल हालांकि बढ़ते वक्त के साथ राजनीति में सक्रिय हुए। माेतीलाल 1888 में इलाहाबाद कांग्रेस के 1,400 प्रतिनिधियों की सूची में शामिल हुए। 1907 में उन्होंने इलाहाबाद में एक प्रांतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। 1909 में उन्हें संयुक्त प्रांत परिषद के सदस्य चुने गए। उन्होंने किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की यात्रा में 1911 में दिल्ली दरबार में भाग लिया था।  होम रूल लीग की इलाहाबाद शाखा के अध्यक्ष बनेइतना ही नहीं इसके बाद मोतीलाल इलाहाबाद नगरपालिका बोर्ड और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य बने। उन्हें संयुक्त प्रांत कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। मोतीलाल नेहरू जून 1917 में होम रूल लीग की इलाहाबाद शाखा के अध्यक्ष बने। अब उनकी राजनीति में तेजी से बदलाव शुरू हुआ। अगस्त 1918 में बॉम्बे कांग्रेस में भाग लिया।

मोतीलाल नेहरू दो बार कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए थेप्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोतीलाल ने 5 फरवरी 1919 को एक दैनिक पेपर, इंडिपेंडेंट लॉन्च किया था। इनकी राजनीतिक सक्रियता तेजी से बढती गई। यह दो बार कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। इन्होंने स्वराज पार्टी की स्थापना की व केन्द्रीय विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे। इसके साथ ही इन्होंने भारत के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। आज मोतीलाल नेहरू की पांचवीं पीढ़ी राजनीति में 6 फरवरी,1931 को दुनिया को अलविदा कहने वाले पंडित मोतीलाल नेहरू की आज पांचवीं पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है।  मोतीलाल नेहरू के बेेटे जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बनें। जवाहरलाल नेहरू ने 1926 से 1928 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में सेवा की। इनकी बेटी इंदिरा भी राजनीति में ही गई। तीसरी पीढ़ी के रूप में इंदिरा ने कमान संभाली
मोतीलाल नेहरू की तीसरी पीढ़ी के रूप में इंदिरा गांधी ने कमान संभाली थी। इंदिरा गांधी जनवरी 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी। वह मार्च 1966 से 1977 तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा गांधी 14 जनवरी 1980 को फिर से प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद मोतीलाल नेहरू की चाैथी पीढ़ी के रूप में इंदिरा गांधी के बेेटे सक्रिय हुए। पांचवी पीढ़ी के रूप में आज प्रियंका व राहुल सक्रिय इंदिरा की बहू सोनिया भी राजनीति की दुनिया में आईं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव प्रधानमंत्री बने। 1998 में राजीव की पत्नी सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनीं। राजीव और सोनिया गांधी के बाद अब इनके बेटे राहुल गांधी आज कांग्रेस प्रेसीडेंट और बेटी प्रियंका गांधी जनरल सेक्रेटरी के रूप में राजनीति में हैं।

Posted By: Shweta Mishra