चूहों और बिल्‍ली का खेल तो आपने देखा होगा लेकिन चूहों और पुलिस का खेल शायद नहीं देखा होगा लेकिन यहां रांची के सुखदेव नगर में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक थानेदार ने चूहों को अपराधी बताकर उन पर रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की हैं. चूहों का अपराध इतना है कि उन्‍होंने मालखाने में रखे जरूरी दस्‍तावेज और नोट कुतर डाले हैं. हालांकि यह वहां के पुलिस अधीक्षक के गले नहीं उतर रहा है और वे चूहों को अपराधी मानने के पक्ष में नहीं हैं.

मालखाने के सामान की नहीं हो सकी सुरक्षा
सुखदेव नगर के पूर्व थानेदार फागुनी पासवान वर्तमान में दुमका जिले के सरैयाहाट थाने में तैनात हैं. इसके पहले उनके पास सुखदेव नगर थाने का प्रभार था. इसलिए उन्होंने सुखदेव नगर के वर्तमान थानेदार रण्ाधीर कुमार को थाने के हालातों से अवगत कराते हुए बताया है कि यहां के मालखाने की स्िथ्ाति बहुत खराब हैं. चूहों की वजह से यहां के सामान की सुरक्षा नहीं हो सकी है.चूहों ने यहां पर रखे अनेक जरूरी दस्तावेजों को कुतर डाला है. धूप व जगह जगह पानी टपकने की वजह से भी मालखाने में रखे अधिकतर जरूरी सामान ओर यहां पर लगे पाइप, तार आदि खराब हो गये हैं. फागुनी पासवान ने स्टेशन डायरी में चूहों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की हैं.
चूहों ने दस्तावेज व रूपयों का किया नुकसान
दरोगा ने अपनी तहरीर में लिखा है कि चूहों ने इस मालखाने में बहुत नुकसान किया है. उन्होंने 1996 के मटका के कागजात व दो सौ रूपये कुतरे हैं. चूहों का आतंक यहीं नहीं समाप्त हुआ उन्होंने 2000 में जब्त किये हुये ताश के पत्ते, 34 रूपये व एक और जगह से जब्त किये गये ताश के पत्तों व 59 रूपये भी नष्ट कर डाला है. इसके साथ्ा ही 1996 के कई जरूरी कागजात और चार हजार आठ सौ रूपये भी चूहों ने कुतर दिया है. ऐसे में मालखाने में रखे जरूरी दस्तावेज, रूपये व सामान नष्ट करने पर चूहों पर केस बनता है और उन पर रिपोर्ट दर्ज की जाए.

 

अधिकारियों के गले नहीं उतर रही थानेदार की मांग
दरोगा थानेदार फागुनी ने भले ही चूहों पर रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की हों लेकिन यह मामला अफसरों के गले नहीं उतर रहा है. पुलिस अधीक्षक अनूप बिरथरे का कहना है कि यह कानूनी प्रक्रिया है कि अगर मालखाने में रखी वस्तुएं नष्ट होती है तो उक्त थाने में रखी स्टेशन डायरी में इसे दर्ज कराये जाने का नियम है लेकिन यह भी जांच का विष्ाय बनता है कि मालखाने में रखे दस्तावेज व सामान कैसे नष्ट हुआ. इसका जिम्मेदार कौन हैं और जब यह सब हुआ उस समय उस थाने का प्रभारी कौन रहा. चूहों पर आरोप लगा देने भर से मामला खत्म नहीं हो जाता है. अगर दीमक फाइलें चट कर जाएं तो क्या रिपोर्ट दीमक पर दर्ज होगा. इसलिए चूहों पर कोई मामला नहीं बनता हैं. मालखाना कोर्ट की प्रापर्टी होती है और उसकी सुरक्षा करना वहां के प्रभारी की जिम्मेदारी बनती है. ऐसी लापरवाही बरदाश्त नहीं की जा सकती है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh