पूर्व चीफ जस्टिस पी सदाशिवम के केरल राज्‍य के राज्‍यपाल बनने के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है. कानूनी गलियारों में चीफ जस्टिस रहे व्‍यक्ति को इस पद पर आसीन करने के औचित्‍य पर प्रश्‍न उठाया जा रहा है.


औचित्य पर उठे सवालपूर्व चीफ जस्टिस पी सदाशिवम को केरल के मुख्यमंत्री बनाए जाने के प्रश्न पर राज्य के चीफ मिनिस्टर ओमान चांडी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बारे में अभी तक उनके विचार नही मांगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि औचित्य के मुद्दे पर कानून और संविधान विशेषज्ञों को जवाब देना है. इस बारे में केरल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यूं तो इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिसों को राज्यपाल बनाया गया है. लेकिन चीफ जस्टिस की इस पद पर नियुक्ति लॉजिक रिलेटेड क्वेश्चन तो उठाएगी ही. इसके बाद उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा करने में कोई गुरेज नही है. कांग्रेस करती थी डिस्कशन
कोझिकोड में पत्रकारों के एक समूह को संबोधित करते हुए चांडी ने कहा कि इससे पहले जब भी राज्यपालों की नियुक्ति होती थी तो केंद्र सरकार उनसे सलाह मशविरा करती थी. लेकिन इस बार अभी तक ऐसा कुछ भी नही हुआ है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार देर-सवेर उनसे सलाह मशविरा करेगी. शीला दीक्षित ने लगाई आखिर तक ताकत


इससे पहले केरल की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बीजेपी नेताओं से मिलकर कई बार अपनी गद्दी बचाने की कोशिश की. इसके लिए वे प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक से मिलीं लेकिन उनके सभी प्रयास असफल साबित हुए. इसके बाद उन्होंने केरल के राज्यपाल के रूप में इस्तीफा दे दिया. उन्हें दिल्ली चुनावों में हार के बाद यह पद दिया गया था.

Hindi News from India News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra