2004 में शिमित अमीन की फिल्‍म 'अब तक छप्पन' आयी थी. इस फिल्म में नाना पाटेकर ने साधु आगाशे की भूमिका निभाई थी. जिसमे साधु ने एक संदेश दिया था कि आप जिस पेशे से जुड़ जाते हैं वैसी आपकी सोच हो जाती और हमेशा के लिए ही वैसे हो जाते हैं. यह फिल्‍म रामगोपाल वर्मा ने प्रोड्यूस्‍ड की थी. उन्‍होंने कहा था कि यह फिल्‍म एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट दया नायक के जीवन से काफी हद तक प्रेरित है. वहीं इस पृष्ठभूमि में आयी 'अब तक छप्पन 2' अप्रासंगिक और बचकाना प्रयास लगती है. पटकथा और अभिनय में खास तालमेल भी नहीं दिखा.

फिर शुरू होता है साधु अगाशे का एनकाउंटर
इस फिल्‍म में पुलिस की काफी सराहनीय भूमिका दिखायी गयी है. जिसमें उभरते हुए अंडरवर्ल्‍ड के खतरे को किस तरीके से मुठभेड़ के जरिये समाप्‍त किया जाता है. सबसे खास बात यह रही कि एक दशक पहले मुठभेड़ जांच के दायरे में नहीं आती थी. अब तक छप्पन 2 की कहानी पिछली फिल्म के खत्म होने से शुरू नहीं होती है. करीब एक दशक बाद आयी इस फिल्‍म में निर्दोष लोगों को बुलाकर बेवजह मार दिया जाता है. वहीं इसके सीक्‍वल में पिछली फिल्म के पुलिस कमिश्नर प्रधान यहां भी हैं. इस फ़िल्म में भी साधु अगाशे को दोबारा फ़ोर्स में बुलाया गया है. उन्हें अंडरवर्ल्ड से निबटने की पूरी छूट दी जाती है. बिगड़े हुए हालात को फिर काबू में करने के लिए और फिर शुरू होता है साधु अगाशे का एनकाउंटर. इसमें अगाशे से होममिनिस्‍टर (विक्रम गोखले) काफी प्रभावित होते हैं और जूनियर पुलिस (आशुतोष राना) के काम से कम प्रभावित होते हैं. जिससे साधु अगाशे अपनी जिंदगी के दूसरे मोड़ पर फिर से अपराध की दुनिया मिटाने आते हैं. जिससे वह अपनी व्‍यक्‍ितगत जिंदगी में अनेक उतार चढ़ाव को दरकिनार कर एक बार फिर अपने कदम आगे बढ़ा लेते हैं. फिल्‍म में गुलपनाग ने एक क्राइम रिपोर्टर की भूमिका निभायी है. डायरेक्‍टर इस फिल्‍म की कहानी को उभारने की काफी कोशिश की गयी, लेकिन खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी.
Ab Tak Chappan 2
Directed: Aejaz Gulab
Produced: Raju Chada, Gopal Dalvi
Cast: Nana Patekar, Gul Panag, Mohan Agashe, Ashutosh Rana

 



बावजूद इसके फिल्‍म की कहानी कुछ खास नहीं
इस फिल्‍म में भी साधु अगाशे की भूमिका नाना पाटेकर ही निभा रहे हैं. बिल्‍कुल वही जोश और वही जुनून उनमें इस बार भी दिखाया गया. पर्दे पर उनके भूमिका में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है. इस फ़िल्म में मनोरंजन भी ठीक ठाक है और क्लाइमेक्स बेहतरीन करने की कोशिश की गयी है. बावजूद इसके फिल्‍म कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पायी. ऐसे में अगर पहली अब तक छप्पन से बराबरी करें तो ये फ़िल्म कमज़ोर है. कुछ नयापन नहीं है. इस फिल्म की घटनाओं का अनुमान पहले से हो जाता है कि आगे क्‍या हो सकता है. इसके अलावा रिदार और उनके संवाद भी चिर-परिचित जान पड़ते हैं. वहीं इसका संगीत और बैकग्राउंड म्‍यूजिक भी कुछ खास नहीं रहा. फिल्‍म के अधिकांश डायलॉग तो ऐसे है जिनका कोई अर्थ नही होता है. इस फिल्‍म के सीक्‍वल एक बस डिजास्‍टर की तरह दिख रहा है. कैमरे के कमाल से सींस को काफी खतरनाक कर दिया जो कहानी से काफी अलग नजर आये. हो सकता डायरेक्‍टर ने नाना के साथ ही दूसरे चेहरों को भी हाईटेक करने की कोशिश की हो, लेकिन कुछ प्रभाव नहीं दिखा. इसके अलावा राजनीतिज्ञों को स्‍पेशल लुक में दिखाने के लिए धोती पहनायी गयी, लेकिन नाकायाब रही. ऐसे में साफ है कि अब तक छप्पन 2 में नये पन की कमी दिख रही है.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh