जिंदगी हर हादसे के बावजूद चलती है और उम्र के किसी भी पड़ाव पर चलनी ही चाहिए. अगर उसे गुजारने लगो तो वो बोझ हो जाती. आप बूढ़े हो जाएं तो गिवअप कर दें ये फलसफा ठीक नहीं है. क्‍लब 60 इसी की कहानी है.

Producer: Rajeev Agrawal, Kavee Kumar, Vineet Yadav
Director: Sanjay Tripathy
Cast:  Farooq Shaikh, Sarika, Raghuvir Yadav, Satish Shah, Tinnu Anand, Sharat Saxena,  Vineet Kumar, Suhasini Mulay, Zarina Wahab, Himani Shivpuri, Harsh Chhaya
Rating: 3/5 star
क्लब 60 ऐसे पांच एल्डरली बंदों का फेवरेट प्लेस है जिनका लीडर है मन्नुभाई शाह (रघुबीर यादव). मन्नुभाई के बाकी साथी हैं ढिल्लो (शरत सक्सेना), मनसुखानी (सतीश शाह), जफर (टीनू आनंद) और सिन्हा (विनीत कुमार), इन पांचो की जिंदगी बेहद कलरफुल है मन्नु कलर्ड ग्लासेज, ट्रेंडी स्लोगन टी शर्टस और फ्रेंच बिअर्ड के साथ कानों में आई पॉड प्लग इन किए वो अपनी एज के बिलकुल अपोजिट लगता है. बाकी लोग भी वाइन, वोमेन और सेक्स के बारे में बात करते हुए यंगस्टर को मात देते हैं. ये पांचो पहली नजर में जिंदगी से भरपूर लगते हैं जब झगड़ा देते हैं, गालियां बकते हैं, छोटी छोटी शरारतें करते हैं.
इस सबके बीच टिविस्ट हैं न्यूरो सर्जन डाक्टर तारिक शेख (फारुख शेख) जो अपने इकलौते बेटे की डेथ के हादसे टूट कर बेहद डिप्रेस मूड में अपनी वाइफ डाक्टर सायरा (सारिका) के साथ पुणे से मुबई शिफ्ट होते हैं. मन्नु की ही बिंल्डिंग में रहने आए डाक्टर शेख को मन्नु की अपनी लाइफ में दखलंदाजी पसंद नहीं आती, उन्हें मन्नु का कैजुअल लाइफ स्टाइल भी एक्सेप्टेबल नहीं लगता. लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है जो डाक्टर शेख को जिंदगी से वापस प्यार हो जाता है और इसकी वजह बनते हैं क्लब 60 के यही फैंटास्टिक फाइव जिनकी जिंदगी का सच डाक्टर साहब को एक अलग ही हकीकत से रूबरू करा देता है.


बिना शक क्लब 60 एक लो बजट फिल्म है लेकिन उसके अंदर छुपा सच इसे एक बड़ी कहानी बना देता है. फिल्म सीधी और सपाट है कहानी में कोई उतार चढ़ाव नहीं है, फिर भी आप जैसे उसमें डूबते उतराते रहते हैं. रधुबीर यादव और फारुख शेख ने अपना बेस्ट दिया है और सारिका भी शानदार लगी हैं. म्यूजिक की फिल्म में कोई गुंजाइश नहीं है जो भी है सामान्य है. कुल मिला कर उम्र के ऊंचे पायदान पर खड़े लोगों के लिए ये फिल्म एक अच्छा मैसेज देती है.

Posted By: Kushal Mishra