औरत के मुद्दे और प्राब्‍लम्‍स कभी कभी खुद औरत ही नहीं समझती और अगर समझना भी चाहे तो सक्‍सेज की सेल्‍फिश भूख उसे इन्‍हें कैसे इग्‍नोर करने के लिए मजबूर करती है इसी सच को सामने लाती है गुलाब गैंग.


Producer: Anubhav SinhaDirector: Soumik SenRating: 3.5/5 starCast:  Madhuri Dixit, Juhi Chawla, Priyanka Bose, Vinitha Menon, Tanvi Rao, Mahie Gill, Shilpa Shukla, Tannishtha Chatterjee, Divya Jagdale


रज्जो (माधुरी दीक्षित) नार्दन इंडिया के वेर्स्टन एरिया में लेडीज के लिए एक आश्रम रन करती है और उनके सोशल राइट्स के लिए फाइट करना भी सिखाती है. इसके साथ ही सेल्फ रेस्पेक्ट के साथ जीने के लिए कुछ हैंड मेड चीजे, साड़ियां और मसाले भी बनाती हैं. इस आश्रम की औरतें दुर्गा का अवतार हैं जो वक्त पड़ने पर हथियार भी उठा सकती हैं. उन्हें इंडियन मार्शल आर्टस की भी ट्रेनिंग दी जाती है. रज्जो की मुलाकात सुमित्रा देवी (जूही चावला) से होती है जिसके लिए पॉलिटिकल कनेक्शन, पॉवर और सत्ता हासिल करने के लिए जोड़ तोड़ करना आम बातें हैं. रज्जो जो सुमित्रा की असलियत नहीं समझती इलेक्शन में उसे सर्पोट करने का डिसीजन लेती है, लेकिन जल्दी ही सच सामने आ जाता है. तब रज्जो को समझ आता है कि जो रेप्युटेशन और पोजीशन उसने बरसों की मेहनत से बनायी है उसे सुमित्रा ना सिर्फ अपने फेवर में यूज करना चाहती है बल्कि उसको रास्ते से हटाना भी चाहती है. रज्जो तय करती है कि वो इन हालात का सामना उन्हीं के स्टाइल में करेगी और खुद इलेक्शन लड़ेगी. रज्जो इलेक्शन लड़ती है और जीतती है पर इस जीत का रंग कुछ ज्यादा गाढ़ा गुलाबी है.

बिना शक डायरेक्टर सौमिक सेन ने माधुरी के एक्सप्रेशन की पॉवर को पूरा इस्तेमाल किया है और माधुरी ने भी अपने आप को प्रूव किया है. लेकिन करीब करीब हर बड़े मौके पर डायरेक्टर जो खुद फिल्म के राइटर भी हैं कन्फ्यूज लगते हैं और इसका असर माधुरी की एक्टिंग पर भी पड़ता दिखाई देता है. माधुरी का एक्टिंग टैलेंट किसी भी डाउट से परे है पर वो अब भी बॉलिवुड में अपना जॉनर तलाश रही हैं. जूही चावला फर्स्ट टाइम निगेटिव करेक्टर प्ले कर रही हैं और उन्होंने अपने करेक्टर के साथ जस्टिस करने की पूरी कोशिश की है लेकिन उनकी साफ्ट इमेज और बबली लुक इस में रोड़े अटकाते हैं और वो उतनी क्रुअल लगी नहीं हैं जितनी फिल्म की रिक्वॉयरमेंट है. कुल मिला कर फिल्म बंधी हुई है और सभी एक्टर्स ने अपने करेक्टर्स को ईमानदारी से निभाया है. कहानी अच्छी है और सोचने पर मजबूर करती है. पर डॉयलॉग्स कई बार वो असर नहीं डालते जो उन्हें डालना चाहिए. फिल्म में सभी जरूरी इंग्रिडियंडस हैं पर फिर भी एक्च्युअल फ्लेवर में कुछ मिसिंग लगता है.      Hindi news from Entertainment News Desk, inextlive

Posted By: Chandramohan Mishra