Movie review: हैरान करती है पर निराश नहीं करती 'बैटमैन वर्सेस सुपरमैन'
दो सुपर हीरो आमने सामने
आखिर थियेटरों में धूमधाम से उतर आयी है जैक स्नाइडर के निर्देशन में बनी एक अमर कहे जाने वाले देवता समान सुपरहीरो सुपरमैन और एक आम आदमी मगर अच्छाई और सच्चाई की जंग लड़ने को हमेशा तैयार बैटमैन की बहुप्रतीक्षित लड़ाई बैटमैन वर्सेस सुपरमैन डॉन ऑफ जस्टिस। इस फिल्म के साथ ही डीसी कॉमिक्स के नायकों की जस्टिस लीग की स्थापना की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है।
खत्म होते होते चुभन और इंतजार दे जाती है फिल्म
फिल्म शुरू होती है मैन ऑफ स्टील के अंत से जब दुश्मन को परास्त करने की कोशिश में सुपरमैन (हेनरी कॉविल) इतनी तबाही मचा देता है कि उसके फैंस भी उसे अपना दोस्त कम परेशानी ज्यादा समझने लगते हैं और उसके सर्मथक बैटमैन (बेन एफ्लेक) को भी लगने लगता है कि उसे काबू करना जरूरी हो गया है। उसके सर्पोट से बुराई की ज्रग लड़ने वाले प्रशानिक लोग भी चाहते हैं कि सुपर मैन को बताया जाए कि वो क्या कर सकता है इससे ज्यादा इस बात का ध्यान रखे कि उसे क्या करना चाहिए। इस बीच खलनायक लैक्स लूथर (जेसी आईसनबर्ग) अलग ही योजना बना रहा है और इसके लिए उसे अच्छाई के रक्षक बैटमैन को गॉथम सिटी से ही नहीं दुनिया से ही हटाना है। अपने प्रयास में वो इस्तेमाल करना चाहता है सुपरमैन का। इस कोशिश में वो सुपरमैन और बैटमैन को आमने सामने ले आता है मगर इससे पहले की दुनिया एक सुपर हीरो खो देती बीच में आ जाती है सुपरमैन की गर्लफ्रेंड लुइस लेन (एमी एडम्स) जो गलतफहमियों को दूर करके दोनों को वापस एक टीम बनाती है। इस बात से नाराज लैक्स सुपरमैन का खात्मा करने के लिए ले आता है उसका डूम्स डे और दुनिया की सुरक्षा लग जाती है दांव पर, जिसे बचाने इनकी टीम को ज्वाइन करती है वंडर वूमेन (गैल गैडेट)। तीनों मिल कर सब ठीक तो कर देते हैं पर सुपरमैन को मरना पड़ता है। हालाकि फिल्म के अंत तक आते आते उसके जिदा होने की उम्मीद जाग जाती है पर असल में क्या हुआ आपको फिल्म न्याय का उदय होने के बाद उसे कायम रखने के लिए जस्टिस लीग बनने तक इंतजार करना होगा।
कई जगह हैरान करती है बैटमैन वर्सेज सुपरमैन
फिल्म का निर्देशन जैक स्नाइडर ने किया है जो अपनी फिल्मों में एक्शन और स्टंट सींस के लिए प्रसिद्ध है और वो इसमें भरपूर हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स जबरदस्त है। पर सबसे हैरान करने वाली बात है फिल्म में भावुकता का जबरदस्त तड़का। बेशक फिल्म में क्रिस्टोफर नोलेन की गैर मौजूदगी महसूस होती है पर उनकी टीम से जुड़े स्क्रिप्ट राइटर्स ने बहुत ज्यादा असर पड़ने नहीं दिया है। इसलिए नतीजा भले ही बेहद संतुष्ट करने वाला ना हो पर आंखें को भला लगने वाला जरूर है। विलेन बने जेसी कहीं कहीं अतिनाटकीय लगे हैं पर बेन एफ्लेक की इंटेंसिटी और हैनरी कॉविल की मासूमियत ने उसकी खासी भरपायी की है। फिल्म में फैंस को उम्मीद से ज्यादा मिला है जो कुछ कमियों के बावजूद फिल्म को निराशाजनक नहीं बनाता।
Review by: Shubha Shetty Saha
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