MS Dhoni retirement: एमएस धोनी को लोग तब से जानते हैं जब वह 2004 में भारतीय टीम में है। उससे पहले वह रांची के आम लड़कों की तरह थे। जिसका सपना टीम इंडिया की जर्सी पहनना था। यह उतना आसान नहीं था जितना दिखता है। इसके लिए धोनी ने कितनी मेहनत की आइए सुनते हैं उनके करिबियों से।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। MS Dhoni retirement: धोनी ने क्रिकेटर बनने के लिए कितना संघर्ष किया। यह हम सभी जानते हैं, धोनी के जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसे शायद माही के सभी फैंस ने देखा। इसमें धोनी के बचपन से लेकर बड़े होने और फिर क्रिकेटर बनने की यादें हैं। हालांकि ये कहानी तो रियल है मगर ये रील में सिमट गई। माही की जिंदगी से जुड़े असली किरदार कौन है, आइए आपको उनसे रूबरु करवाते हैं।

चंचल भट्टाचार्य - धोनी के पहले कोच
माही को क्रिकेट की एबीसीडी सिखाने वाले उनके सबसे पहले गुरु चंचल भट्टाचार्य है, जिन्होंने धोनी को पहली बार 1995 में देखा था। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में चंचल ने एक बार बताया था कि उन्होंने धोनी को करीब 10 साल तक ट्रेनिंग दी। रांची के पूर्व क्रिकेटर और स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट रहे चंचल भट्टाचार्य कहते हैं, 'धोनी के सफलता की वजह उनका अनुशासन रहा। वह नियमों का पालन करते थे। टीम इंडिया के कप्तान बनने के बाद भी धोनी डाउन टू अर्थ रहे। शायद यही उन्हें एक अच्छा इंसान बनाती है।'

केशव रंजन बनर्जी - धोनी के स्पोर्ट्स टीचर
केशव रंजन बनर्जी का धोनी की जिंदगी में बड़ा रोल रहा। यह माही के स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर थे। इन्होंने ही धोनी को फुटबाॅल से क्रिकेट में रुचि बनवाई। बनर्जी का कहना है, 'साल 1991 में वह धोनी से मिले थे। उस वक्त माही फुटबाॅल खेला करते थे मगर वह उसे क्रिकेट में लाए और माही क्रिकेट में अच्छा करता गया और 1999 तक बेहतर क्रिकेटर बन गया।'

मोहम्मद शब्बीर - धोनी के रणजी पार्टनर
धोनी के साथ रणजी मैच खेल चुके मोहम्मद शब्बीर ने अपने दोस्त को काफी करीब से देखा है। शब्बीर ने बताया था कि, वह रणजी क्रिकेट में धोनी के साथ कई मैच खुल चुके हैं। शब्बीर के मुताबिक, धोनी हर मैच को काफी सीरियस लेते थे। यही वजह है कि उनके अंदर जीतने की ललक है।'

परमजीत सिंह - धोनी के दोस्त
धोनी की फिल्म 'एमएस धोनी : अनटोल्ड स्टोरी' में हम सभी ने देखा था कि उनका एक पंजाबी दोस्त था। वो दोस्त परमजीत सिंह है, जिनका माही से काफी पुराना याराना है। परमजीत वो व्यक्ति हैं जिन्होंने धोनी का बैट स्पांसर करवाया था। वह कहते हैं, कि धोनी आज भी वैसे ही हैं जैसे वह टीम इंडिया में जाने से पहले थे। यही नहीं उनके पास धोनी का एक बैट भी है, जिसमें उस वक्त के सभी इंडियन क्रिकेटर्स ने साइन किया था।'

जेना दा - रांची के मैदान के क्यूरेटर
धोनी को करीब से देखने वालों में एक शख्स जेना दा भी हैं, जो रांची के मेकाॅन स्टेडियम के पिच क्यूरेटर हैं। उन्होंने हमें बताया था, धोनी को वह बचपन से जानते हैं जब धोनी काफी छोटे थे। जेना दा के मुताबिक, धोनी तब प्लाॅस्टिक की बाॅल से मैच खेला करते थे। वह धूप में मैच खेलने आते थे। तब सब उन्हें माही बुलाते थे।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari