बीमार बना रहा है ट्रैफिक का शोर
- ट्रैफिक जाम के कारण मानक से अधिक पहुंच रहा ध्वनि प्रदूषण
- अवैध रूप से गाडि़यों में लगे हूटर, मल्टीटोन हॉर्न बढ़ा रहे हैं ध्वनि प्रदूषण Meerut : सिटी में लगने वाले ट्रैफिक जाम से सिटी में ध्वनि प्रदूषण का स्तर मानकों से बहुत ऊपर पहुंच गया है। जिसके कारण लोग बीमार हो रहे हैं। वहीं प्रमुख सचिव गृह के मल्टी टोन हॉर्न के यूज व बिक्री पर बैन के बावजूद सिटी में मल्टीटोन हॉर्न, प्रेशर हॉर्न और हूटर लगी गाडि़यां दौड़ रही हैं, जो इस ध्वनि प्रदूषण को और भी खतरनाक बना रही हैं। बीमार बना रहा ध्वनि प्रदूषणसिटी में डॉक्टरों के पास आने वाले पेशेंट्स में 10 फीसदी पेशेंट तेज हॉर्न के चलते ही कम सुनाई देने या फिर कान में सिटी बजने जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं। मेडिकल कॉलेज ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉक्टर मनु मल्होत्रा ने बताया कि ओपीडी में रोज करीब 30-40 पेशेंट आते हैं, जिसमें से 3-4 पेशेंट तेज हॉर्न व शोर के चलते बीमार हुए होते हैं।
साइलेंस जोन भी में ध्वनि प्रदूषणरूल्स के मुताबिक हॉस्पिटल, स्कूल-कॉलेज आदि के आसपास 100 मीटर का दायरा साइलेंस जोन में शामिल होता है। साइलेंस जोन में 50 डेसीबल से ज्यादा शोर (ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए पर सिटी में बच्चा पार्क से लेकर ईव्ज चौराहे के बीच कई नर्सिग होम के अलावा कार्डियोलॉजी, मूलचंद, ईव्ज, चिरंजीव के अलावा दर्जनों हॉस्पिटल मौजूद हैं। लेकिन सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण इस रोड पर ही है। यहां पर पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड की टीम को 95 डेसीबल तक ध्वनि प्रदूषण मिल चुका है। हापुड़ अड्डा चौराहे पर अक्सर जाम लगा रहता है। टेम्पो व बसें भी रोड पर ही जमावड़ा लगाए रहते हैं।
गलियों से भारी वाहन इसी तरह घंटाघर के पास भी दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है और हॉर्न के शोर से ध्वनि प्रदूषण और भी बढ़ जाता है। इसी रोड पर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, डफरिन हॉस्पिटल मौजूद हैं। ऑटो, ई रिक्शा, रिक्शा के जमावड़े और एनक्रोचमेंट के कारण हमेशा जाम की स्थिति रहती है। कमोवेश रेजीडेंशियल एरिया का भी यही हाल है। 10 लाख का कारोबार सिटी में मल्टीटोन हॉर्न का 5 लाख से ज्यादा का कारोबार है। सिटी से सरधना, मवाना, मलियाना, हापुड़, मुजफ्फरनगर बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद आदि शहरों में सप्लाई किया जाता है। यहां बिकते हैं अवैध हॉर्न - सोती गंज - घंटाघर - आबूलेन - मोदीपुरम क्या होती है समस्या - तेज हॉर्न से कानों का कोटिला खराब हो सकता है।- रैनाइटरा डिजीज हो सकती है, जिसमें कानों में सीटी सुनाई देती है।
- वरटाइबो डिजीज हो सकती है, जिसमें चक्कर आने लगते हैं। - साइकोलॉजिकल इफेक्ट भी हो सकते हैं। मरीज इरिटेट होने लगता है। - हाई बीपी की शिकायत भी हो सकती है। क्या करें - ईयर प्लग्स का यूज करें, इससे कान हाई साउंड से सेफ रहते हैं। - खुद अवेयर हों। वाहनों से मल्टीटोन हॉर्न हटाएं। - उन रोड्स से न निकलें, जहां ज्यादा ट्रैफिक रहता हो। क्या है मल्टीटोन हॉर्न मल्टीटोन हॉर्न एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस है। ये टू व्हीलर व फोर व्हीलर में लगता है। इसमें साउंड बदला जा सकता है। पुलिस सायरन, प्रेशर हॉर्न, एंबुलेंस हॉर्न आदि इसमें आते हैं। मार्केट में फिल्मी गानों के म्युजिकल हॉर्न भी आते हैं। 120 से 500 के बीच मिलता है मल्टीटोन हॉर्न मार्केट में मल्टीटोन हॉर्न 120 से 500 रुपए के बीच में मिलता है। सायरन हॉर्न की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। सभी मल्टीटोन हॉर्न 100 से 120 डेसीबल की साउंड कैपेसिटी वाले होते हैं। लाउड नॉर्मल 120 डेसीबल सायरन 200 डेसीबल वाओ 350 डेसीबल सांग 500 डेसीबल क्या हैं नियमआरटीओ नियमों के अनुसार वाहन में 75 से 85 डेसीबल से ज्यादा का साउंड नहीं होना चाहिए। जबकि डॉक्टरों के अनुसार 90 डेसीबल से ज्यादा का साउंड हैल्थी मेन के लिए खतरनाक है।
वर्जन सिटी में मल्टीटोन हॉर्न लगाकर घूम रहे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। मल्टीटोन हॉर्न लगाना व बेचना गलत है। - एसएस सिंह, एआरटीओ सिटी में कई इलाकों में ऐसे हॉर्न का इस्तेमाल किया जा रहा है जोकि काफी खतरनाक हैं। कई इलाकों में तो काफी खतरनाक स्थिति है। ऐसे हॉर्न पर तुरंत बैन हो जाना चाहिए। - डॉ। बीबी अवस्थी, रीजनल ऑफिसर, यूपीपीसीबी