नगर निगम का निराला खेल
अवस्थापना निधि की तकरीबन 18 करोड़ की रकम से खरीदी मशीनें और वाहन
बिना प्रस्ताव और कार्ययोजना के खरीदे गए करीब 3 करोड़ से ज्यादा के वाहन >Meerut। नगर निगम के खेल भी अजीब हैं। बिना किसी प्रस्ताव और कार्ययोजना के ही करोड़ों रुपये की मशीनें खरीद ली गईं। बाद में आपत्तियां उठीं, तो आनन-फानन में उन मशीनों के इस्तेमाल के लिए कार्य योजना बनाई गई। छह माह तक इस्तेमाल नहीं हम बात कर रहे हैं निगम की डिवाडर स्वेपिंग मशीन की। यह मशीन करीब छह माह पहले ही निगम के डिपो की शान बन गई थी। लेकिन नगर निगम ने इसका इस्तेमाल छह माह बाद शुरू किया। हालांकि अपर नगरायुक्त अली हसन कर्नी का कहना है कि ये सभी गाडि़यां शहर के विकास के लिए तैयार की गई योजनाओं के तहत ही खरीदी गई हैं। ये खरीदे बिना कार्ययोजना केचार माह पहले लॉन्च हुए 1396 सीसी के टाटा ऐस के 90 ट्रक नगर निगम ने लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये में खरीद लिए।
तीन जेसीबी मशीन की खरीद में लगभग एक करोड़ रुपये की रकम खर्च कर दी गई।नाले की सफाई के दौरान निकलने वाली सिल्ट को उठाने के लिए 34 लाख रुपये की 17 ट्रॉलियां खरीदी गईं, जिनका उपयोग आज तक नहीं हुआ।
ट्रैक्टर और पोर्कलेन मशीनें भी खरीदी गईं। 75 लाख की स्वीपिंग मशीन शहर की सफाई के लिए नगर निगम के पास लगभग 75 लाख रुपये की रोड क्लीन स्वीप मशीन पिछले साल से है। गौरतलब है कि सफाई के दौरान इस मशीन का संचालन करने में खर्चा बहुत ज्यादा आता है। जिस वजह से इस मशीन का प्रयोग ही नहीं होता है। इस प्रक्रिया का नहीं हुआ पालन शहर के विकास संबंधी कामों में कोई रुकावट नहीं आए, इसके लिए शासन स्तर पर वित्त आयोग के साथ-साथ अवस्थापना निधि का भी प्रावधान है। अवस्थापना निधि में शहर के विकास के लिए किस मद में कितना-कितना पैसा खर्च करना है, इसके लिए निगम के निर्वाचित पार्षद प्रस्ताव देते हैं। महापौर की संस्तुति के बाद ही इन प्रस्तावों पर बजट राशि का प्रावधान किया जाता है। इसके बाद यह प्रस्ताव नगर आयुक्त के माध्यम से शासन को भेजा जाता है।मौजूदा मामले में बिना प्रस्ताव के ही अवस्थापना निधि की लगभग 18 करोड़ की रकम ऐसी मशीनें और वाहन खरीदने में खर्च कर दी गई, जिनके प्रयोग के लिए निगम ने कोई कार्ययोजना ही तैयार नहीं की थी।
इन गाडि़यों की हुई है खरीद गाड़ी संख्या मूल्य (प्रति एक) जेसीबी 3 30 लाख टैक्टर 22 5 लाख ट्रॉली 17 2 लाख पोर्कलेन 4 30 लाख टाटा ऐस 90 3.29 करोड़ सीवर जेटिंग 1 20 लाख