-बिना टेंडर के अलाव के लिए आ रही लकड़ी, अधिकारियों के मुताबिक 15 लाख की खरीदी जा चुकी लकड़ी

-सूखी लकड़ी की जगह टूटा फर्नीचर, छिलका और सड़े बांस से जल रहे अलाव

बरेली : मैं चाहें ये करूं, मैं चाहें वो करूंमेरी मर्जी। एक मूवी का यह सॉन्ग नगर निगम पर बिल्कुल फिट बैठता है। क्योंकि रूल्स के मुताबिक नगर निगम में 10 लाख या इससे ऊपर के कामों के लिए टेंडर होना जरूरी है, लेकिन यहां तो बिना टेंडर के ही अलाव के लिए लकड़ी खरीदी जा रही है। अधिकारी अभी तक 15 लाख की लकड़ी खरीदकर अलाव में जलवा चुके हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही हैं। हकीकत में लकड़ी के नाम पर नगर निगम में खेल चल रहा है। सैटरडे को जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रियलिटी चेक किया तो सारी हकीकत सामने आ गई।

जल रहा टूटा फर्नीचर, सड़ी लकड़ी

नगर निगम परिषदीय स्कूलों के टूटे फर्नीचर और सड़ी लकड़ी से अलाव जलवा रहा है। वहीं कई जगहों पर गीली लकड़ी से अलाव जल रहा है। जिससे लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अधिकारी भी यह बताने को तैयार नहीं है कि लकड़ी कहां से आ रही है। वहीं नौ जनवरी को पार्षद मुकेश मेहरोत्रा ने मेयर डॉ। उमेश गौतम और चीफ इंजीनियर से अलाव में अफसरों के खेल की शिकायत की थी, लेकिन इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।

सौ फुटा रोड पर हो रहा खेल

नगर निगम सौ फुटा रोड पर लकड़ी में खेल कर रहा है। यहां बाहरी वाहनों से लोड होकर आने वाली गीली और सड़ी हुई लकड़ी निगम के वाहनों में लोड होती है। अब सोचने वाली बात है नगर निगम उस जगह पर अपने वाहनों को क्यों नहीं भेज रहा है जहां से लकड़ी खरीदी जाने का ऑफलाइन टेंडर किया है। इससे साफ है कि नगर निगम ने इसमें खेल किया है।

अलाव दिखे नहीं, लाखों हो गए खर्च

अधिकारियों के मुताबिक अभी तक 15 लाख रुपए अलाव जलाने में खर्च हुए हैं, लेकिन हकीकत में कुछ चुने हुए जगहों पर ही अलाव जल रहे हैं। शहर के जंक्शन, चौकी चौराहा, कुतुबखाना और पुराना रोडवेज आदि जगहों पर सर्दी से लोग ठिठुरते रहते हैं। यहां पर अलाव जलाने के नाम पर महज खानापूरी की जा रही है।

ताक पर नियम

अलाव के लिए प्रस्ताव तैयार कर ई-टेंडर निकाला जाता है जिसमें जो भी लकड़ी की टॉल और दुकान निर्धारित की जाती है, उससे ही लकड़ी खरीदने का नियम है, लेकिन यहां गुपचुप तरीके से लकड़ी की खरीद फरोख्त में निगम खेल कर रहा है।

हर साल होता खेल

नगर निगम में इस बार नहीं बल्कि हर साल लकड़ी और अलाव के नाम पर खेल किया जाता है। इसके लिए न तो टेंडर किया जाता है और न ही कोई निरीक्षण वगैरह होता है। जिससे अधिकारी कागजों में अलाव जलवाकर बजट में खेल कर जाते हैं। वहीं एक्शन न होने से हौसले और बुलंद है। ग

वर्जन

कुछ पार्षदों ने गीली और सड़ी हुई लकड़ी अलाव में उपयोग करने की शिकायत की है। जिसकी जाचं कराएंगे वही बाहरी वाहनों से लकड़ी लोड कर अलाव वाले स्थान पर ले जाई जा रही हैं इसकी जानकारी नही है, मामला गंभीर है जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

संजय चौहान, चीफ इंजीनियर।

Posted By: Inextlive