-शहर में सबसे महंगी पार्किंग सुविधा दे रहा नगर निगम

-अन्य पार्किंग स्थलों पर पार्किंग चार्ज को लेकर भारी अंतर

-शहर में अवैध पार्किंग की आड़ में धड़ल्ले के साथ उगाही

Meerut: शहरवासियों को सस्ती, सुलभ और बेहतर सुविधा मुहैया कराने का दावा करने वाला शहर को सबसे महंगी पार्किंग उपलब्ध करा रहा है। हाई चार्जेज के चलते शहरवासियों की खूब जेब काटी जा रही है। शहर में निगम की चार पार्किंग हैं और चारों स्थानों पर निगम की यह पार्किंग सुविधा शहर की अन्य पार्किंग की तुलना में सबसे मंहगी है।

चार पार्किंग स्थल

नगर निगम की ओर से शहर में केवल चार पार्किंग को कांट्रेक्ट दिया गया है। इन चार कांट्रेक्टर का टेंडर पास कर निगम की ओर से वाहन फीस आदि की राशि निर्धारित की गई है। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि निगम की ओर से पार्किंग फीस इतनी अधिक रखी गई है कि वाहन पार्क करने वाले का सर चकरा जाए। शहर की अन्य सरकारी व गैरसरकारी पार्किंग इससे काफी सस्ती हैं।

ये हैं पार्किंग --

टाउन हॉल, धनवंतरी हॉस्पिटल, मूलचंद शर्बती हॉस्पिटल व वेस्टर्न कचहरी गेट।

पार्किंग रेट --

कार 30 रुपए

बाइक 20 रुपए

साइकिल 05 रुपए

नेताओं के हवाले पार्किंग

नगर निगम में राजनीतिक हस्तक्षेप किस कदर हावी है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शहर में निगम की चारों पार्किंग के कांट्रेक्ट राजनीतिक दखल रखने वाले लोगों को दिए गए हैं। अब चूंकि नगर में मेयर समेत भाजपा के नेताओं का बोलबाला है, तो मूलचंद शर्बती और कचहरी गेट वाली पार्किंग भाजपा नेताओं को दी गई हैं। वहीं दूसरी ओर सपा सरकार के दखल के चलते टाउन हॉल और धनवंतरी हॉस्पिटल की पार्किंग सपा नेताओं के नाम है।

शहर में सस्ती पार्किंग

अब चाहे रेलवे की पार्किंग हो या एमडीए हर जगह पार्किंग शुल्क नगर निगम की तुलना में कम है। यहां तक कि निजी हॉस्पिटल्स और मॉल्स में भी पार्किंग शुल्क नगर निगम से काफी कम रखा गया है। फिर ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी कि नगर निगम को अपनी पार्किंग के रेट अन्य जगहों से अधिक बढ़ाने पड़े।

पार्किंग अन्य जगह

कार 20 रुपए

बाइक 15 रुपए

साइकिल 05 रुपए

चिह्नित अवैध पार्किंग

शहर में जहां हर चौराहे और संस्थान पर अवैध पार्किंग की भरमार है। वहीं निगम की ओर से केवल 14 पार्किंग स्थलों को चिह्नित किया गया है। इनमें कैलाशी हॉस्पिटल कंकरखेड़ा, शॉप्रिक्स मॉल, किडनी हॉस्पिटल, मिमेहन्स हॉस्पिटल, आनंद हॉस्पिटल, एक्ट टॉवर, पीवीएस मॉल व एचडीएफसी बैंक की पार्किंग को अवैधता की श्रेणी में रखा गया है। निगम प्रशासन की मानें तो चिह्नित पार्किंग का टेंडर कर रेगुलर करने की कवायद की जा रही है।

अवैध पार्किंग का मकड़जाल

शहर में इस समय अवैध पार्किंग का धंधा खूब जोरो से चल रहा है। रसूखदार लोगों से सेटिंग कर कुछ दबंग किस्म के लोग सार्वजनिक इस्तेमाल की जगहों पर पार्किंग शुरू कर देते हैं। यही नहीं ये पार्किंग संचालक बिना किसी खौफ के न केवल लोगों से मनमानी रकम वसूलते हैं, बल्कि उसका विरोध करने पर मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं। पार्किंग के इस अवैध कारोबार में विभागीय अफसरों से लेकर शहर के राजनीतिक लोगों की भी खुली हिस्सेदारी होती है।

नहीं होती कार्रवाई

शहर में धड़ल्ले से हो रहे इस अवैध पार्किंग के कारोबार की खबर प्रशासन और नगर निगम को भी है। बावजूद इसके मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। निगम सूत्रों की मानें तो इस तरह के मामलों में कार्रवाई से पूर्व ही किसी न किसी रसूखदार का फोन आ जाता है और सारे मामले की वहीं हवा निकल जाती है। हालांकि इस मामले में जितने दोषी ये पार्किंग कारोबारी हैं, उससे अधिक दोषी नगर निगम के अफसर हैं।

पार्किंग रेट अधिक होने की जानकारी नहीं है। इस बारे में संबंधित अफसरों से बात कर जानकारी ली जाएगी। यदि यह गलत प्रैक्टिस है तो कार्रवाई की जाएगी।

-एसके दुबे, नगर आयुक्त

अवैध पार्किंग मामले में नगर आयुक्त से बात की जाएगी। जहां तक रेट अधिक होने का सवाल है तो पार्किंग व्यवस्था की नियमावली चेक कराई जाएगी।

-हरिकांत अहलूवालिया, मेयर

निगम की चारों पार्किंग अवैध

नगर निगम शहर में चार पार्किंग होने का दावा करता है, लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना का दावा है कि शहर में एक भी पार्किंग वैध नहीं है। आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि निगम की चारों पार्किंग बिल्कुल अवैध है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दाखिल की गई है और नगर आयुक्त को नोटिस भेज गया है। लोकेश ने बताया कि यूपी पार्क एंड प्ले ग्राउंड रिजर्वेसन एक्ट 1975 के अनुसार जन सुविधा वाली किसी भी जगह पर पार्किंग स्थल नहीं बनाया जा सकता।

ये हैं अवैध पार्किंग

-टाउन हॉल में पार्क बना है, जिसका निगम द्वारा मेंटीनेंस नहीं किया बल्कि कमाई के लिए यहां पार्किंग का टेंडर छोड़ दिया गया एक्ट के विपरीत है।

-मूलचंद शर्बती और धनवंती हॉस्पिटल में बिना पार्किंग स्थल के ही पार्किंग का टेंडर छोड़ दिया गया, जो बिल्कुल गलत है। कांट्रेक्टर संकुचित सड़क पर ही पार्किंग चला रहा है।

-कचहरी के एक गेट पर निगम ने पार्किंग का टेंडर छोड़ा है, जबकि यहां पांच जगह निगम की पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है।

Posted By: Inextlive