RANCHI : बेखौफ लुटेरों ने उसे सड़क पर खुलेआम 40 मीटर तक घसीटा, पर उसकी हिम्मत के आगे वे पस्त हो गए। रुपए से भरा बैग छीने बगैर ही लुटेरों को जान बचाने के लिए भागना पड़ गया। डोरंडा की मुन्नावरा खातून की बहादुरी पर आज हर किसी को नाज है। वे महिलाओं की आई कॉन बन चुकी हैं। हो भी क्यों ना। आखिर उसने अपनी जान की परवाह किए बगैर लुटेरों का साहस से जो मुकाबला किया था। आईपीएस ऑफिसर्स वाइफ्स एसोसिएशन (इप्सोवा) के सोमवार को आयोजित समारोह में बहादुर मुन्नावरा को सम्मानित किया गया।

हर वक्त आपके साथ है खुदा

मुन्नावरा खातून कहती हैं- जिस परवर दीगार ने जिंदगी दी है, उसके हम शुक्रगुजार हैं। अगर किस्मत में मौत लिखी होती तो मेरी जान उसी वक्त चली जाती, जब अपराधी सड़क पर घसीट रहे थे। खुदा हमारे साथ रह वक्त मौजूद रहता है, चाहे सिचुएशन जैसी भी हो। मौत भी खुदा की इच्छा से होती है। इसलिए बिना किसी डर व भय के हमें अपना कर्म ईमानदारी के साथ कहना चाहिए। अपराधियों से खौफ खाने की बजाय उनका बहादुरी के साथ मुकाबला करना चाहिए, तभी अमन-चैन की जिंदगी हम जी सकते हैं।

भागना पड़ा लुटेरों को

इस साल 22 अप्रैल को मुन्नावरा खातून बैंक से रुपए निकालने के बाद पैदल जा रही थीं। इस बीच बाइक पर सवार दो लुटेरे आए और उसके हाथों में रुपए से भरे बैग को छीनने की कोशिश की। वे उसे बाइक से 40 मीटर तक सड़क पर घसीटते चले गए, लेकिन 50 वर्षीय मुन्नावरा ने बैग नहीं छोड़ा। ऐसे में लुटेरों को जान बचाने के लिए भागना पड़ गया। रोड पर घसीटे जाने से मुन्नावरा जख्मी हो गई थीं। कई दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट रहीं, लेकिन उसने जो बहादुरी दिखाई, उसे पूरा शहर सलाम करता है।

युवतियों की बन चुकी हैं आईकॉन

लुटेरों के सामने जिस तरह मुन्नावरा ने बहादुरी दिखाई, उस कारण वह आज युवतियों की आईकॉन बन चुकी हैं। वे कहती हैं-लुटेरे जिस वक्त उसे घसीटा रहे थे, वह सिर्फ खुदा को याद कर रही थी। लुटेरों के बाबत उसने कहा कि वे भी अपना ही कर्म कर रहे थे, भले ही उनकी राह गलत थी। अल्लाह उन्हें सदबुद्धि दे, ताकि वे सही राह पर चल सकें।

Posted By: Inextlive