-'एकात्म मानव दर्शन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' विषयक कॉन्फ्रेंस में बोले डॉ। मुरली मनोहर जोशी

--BHU में प्रज्ञा प्रवाह की ओर से दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का किया गया है आयोजन

VARANASI: सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के उत्थान में एकात्म मानव दर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है। हम कौन है यह जानने के लिए वह कौन है यह जानना जरूरी है। ये बातें शनिवार को बीजेपी के सांसद डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने बीएचयू में कहीं। वह शनिवार को केएन उडप्पा ऑडिटोरियम में आयोजित 'एकात्म मानव दर्शन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' विषयक नेशनल कॉन्फ्रेंस में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में सभ्यता और संस्कृति के बीच संघर्ष अनिवार्य है, संघर्षवादी संस्कृति (प्रोटेस्टेन्ट कल्चर) समाज को आगे की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर हमें सामाजिक व नैतिक व्यवस्था को कायम करना होगा।

राष्ट्र व नेशन के बीच अंतर है

बतौर मुख्य वक्ता डॉ। कृष्णगोपाल जी ने कहा कि राष्ट्र और नेशन के बीच के महत्व को जानने की जरूरत है। स्वामी विवेकानंद जैसे मनीषियों ने कहा था कि भारत राष्ट्र है। भारत में अनेक शासक आए लेकिन यहां का दर्शन संस्कृति व परम्पराएं जीवित रहीं इतने आक्रमण एवं शासन के बाद भी राष्ट्र जिन्दा रहा। उन्होंने कहा कि काशी में तुलसी के कमण्डल का पानी नहीं सूखा, कबीर, रामदास व रविदास के भजन भी जीवित रहे। उन्होंने कहा कि हमारा दर्शन सर्वे भवन्तु सुखिन: का है।

VC ने की अध्यक्षता

अध्यक्षता बीएचयू के वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने की। स्वागत अर्थशास्त्र विभाग के प्रो। आद्या प्रसाद पाण्डेय ने किया। गेस्ट्स का परिचय प्रज्ञा प्रवाह के रामाशीष ने दिया। संचालन डॉ। एके सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो। कौशल किशोर मिश्रा ने किया। इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय पदाधिकारी डॉ। सदानंद सप्रे सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह, इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट, पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट और और टूरिज्म डिपार्टमेंट की ओर से किया जा रहा है। कॉन्फ्रेंस में 88 पेपर पढ़े जायेंगे।

Posted By: Inextlive