- जश्न-ए-अक्षरा में देश और विदेश के फेम शायरों ने सुनाए कलाम

- सैकड़ों की तादाद में मौजूद श्रोताओं ने लिया मुशायरे किया एंज्वॉय

BAREILLY:

अक्षरा फाउंडेशन की ओर से संडे को आईएमए हॉल में हिंदी और उर्दू के कवियों का संगम हुआ। जिसमें पाकिस्तान की शायरा और इस्लामाबाद यूनिवर्सिटी प्रो। राशिदा माहीन मलिक और तक्षशिला के राना सईद दोषी, हसन अब्बास रजा, मुजफ्फराबाद के अहमद अताउल्लाह, कवि किशन सरोज, संजय शौक, वन कुमार, सोनरूपा, विशाल समेत अन्य शायर और कवि मौजूद रहे। देर रात गजल संग्रह 'जिंदगी मुझसे और क्या लेगी' का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में शरद मिश्रा, अवनीश यादव, सिया सचदेव, विकास अग्रवाल, सचिन अग्रवाल, आदित्य प्रकाश व अन्य मौजूद रहे।

महफिल में गूंजे अफसाने

मुशायरा और कवि सम्मेलन 'जश्न-ए-अक्षरा' में देर शाम शायरों और कवियों की रचनाओं से माहौल खुशनुमा बना दिया। शायर डॉ। अवनीश यादव ने 'पराए दर्द अपनाने की आदत ही बचाएगी, हकीकत में हम सबको मोहब्बत ही बचाएगी', डॉ। अनवर वारसी ने 'जब तलक आसमां में सितारे रहें, तुम हमारे रहो हम तुम्हारे रहें', आलोक यादव ने 'नई नस्लों के हाथों में भी ताबिन्दा रहेगा, मैं मर भी जाउं मिट्टी में कलम जिंदा रहेगा', शरद मिश्रा ने 'वो झूठों का सरताज बना हाथों हाथ था, मैं सच को साथ लेकर अकेला खड़ा रहा', कहीं आंखों में उम्मीदें कहीं केवल नमी दी है, न जाने बांट के कैसे खुदा ने जिंदगी दी है', त्रिवेणी पाठक ने 'रो रहे तुम हो गमजदा हम भी, दर्द में सरहदें नहीं होती' समेत अन्य ने अपनी रचनाओं से मौजूद श्रोताओं का मन मोह लिया।

Posted By: Inextlive